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अनेकान्त 67/4, अक्टूबर-दिसम्बर, 2014 आदि से रोका जा सकता है। यह तरंग चेतना को जागृत करने के साथ तर्कयक्त विवेक के लिये भी उत्तरदायी है। परन्त बीटा तरंगों के स्तर में अधिकता तनाव, चिंता और थकान के लिये भी उत्तरदायी हैं आज की तथाकथित आधुनिक जीवन-शैली में तनाव सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्या है। (४) गामा तरंग : 75-100 HZs वाली गामा तरंग आवेश रहित फोटान हैं, जो प्रकाश में होते हैं। गामा तरंग की छेदन क्षमता अत्याधिक होती है। इनमें जीवित कोशिकाओं को नष्ट करने की क्षमता होती है।
उपरोक्त, विभिन्न आवृत्ति वाली तरंगों के, मस्तिष्क और शरीर पर पड़ने वाले गुणदोषों के विवरण से यह निष्कर्ष सहज ही निकाला जा सकता है कि जैसे-जैसे तरंग की आवृत्ति बढ़ती है, वैसे-वैसे, मस्तिष्क और शरीर पर तरंग का लाभ की जगह दुष्प्रभाव बढ़ता जाता है। ये किरणें मस्तिष्क और शरीर पर अच्छा या बुरा प्रभाव क्यों डालती है? हम यह भूल बैठे हैं कि हमारे विचार विश्वास, चेतना एवं स्वयं के अस्तित्व के नियंत्रक हैं। वास्तव में हम स्वयं ही कर्ता हैं और स्वयं ही भोक्ता हैं। वास्तव में तरंगें तो निमित्त मात्र हैं, जिसका आस्रव भी कर्ता और भोक्ता कर रहा है और बंध भी स्वयं कर्ता और भोक्ता ही कर रहा है। ऐसी स्थिति में कर्मफल से कैसे बचा जा सकता है।
मांसाहार क्योंकर दूषित है और मांसाहारी को यह क्योंकर कष्टप्रद है, इसका समाधान उच्च आवृत्ति वाली तरंगों के अनिष्टकारी प्रभाव और शरीर शास्त्र (Anatomy) में वर्णित ग्रंथियों से होने वाले स्राव के कार्य और प्रभाव के आधार पर किया जा सकता है। समाधान हेतु प्रारंभिक शरीरशास्त्र में उल्लेखित ‘एड्रिनल ग्रंथि' (Adrenal gland)39 से, घटना विशेष में उत्सर्जित होने वाले स्राव (Harmones) के कारण और प्रभाव से किया जा रहा है।
क्या पशु-वध गृह में वध किये जाने वाले पशु या मौत की आहट सुनने वाले साथी पशु की स्थिति, उपरोक्त घटना से अलग होती है? भिन्न भी और भयानक भी। पशु वध गृह में वध के लिये तैयार पशु Adrenaline स्राव के चलते बढ़ा रक्तचाप, बढ़ी धड़कन, पसीना-पसीना होकर अतिरिक्त शक्ति प्राप्त कर लेता है, Noradrenaline स्राव से बचने का विचार और