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अनेकान्त 67/3, जुलाई-सितम्बर 2014 सम्पदा का एक अभिन्न अंग है। प्रत्येक गाथा का अनुवाद संक्षिप्त सटीक एवं प्रामाणिक है।
(४) दर्शन-भारती (पर्यावरण-विशेषांक)
संपादक- डॉ. शीतलचन्द जैन, डॉ. अनिल कुमार जैन, प्रकाशकमहेशचन्द जैन चांदवाड़-मंत्री श्री दि. जैन स्नातकोत्तर संस्कृत महाविद्यालय, ६६ मनिहारों का रास्ता, जयपुर-३ (राज.) शोध पत्रिका है, प्रकाशन वर्ष २०१४ पृष्ठ ८८ मूल्य : ५०/- विभिन्न लेखकों के आध्यात्मिक ग्रंथों के परिप्रेक्ष्य में पर्यावरणीय दृष्टि संबन्धी लगभग १४ शोधालेख संग्रहीत हैं।
(५) णमोकार - विज्ञान (णमोकार मंत्र का विशाल आधारित स्वरूप)
प्रस्तुति/ लेखक- मनमोहन चन्द्र, प्राप्ति स्थल- लेखक से काली चट्टान के पास, कालापाठा, बैतूल (छ.ग.)-४६०००१, प्रथम संस्करण-अप्रैल २००४, पृष्ठ - १५८, मूल्य : बारह अध्यायों में- मंत्र का मूल उसकी उत्पत्ति, संयोजन एवं महत्व पर प्रकाश डालते हुए महामंत्र और उसके तत्त्व, णमोकार मंत्र का विस्तार एवं विश्लेषण महामंत्र का प्रभाव एवं इसकी साधना विधि द्वारा एक संपूर्ण आख्यान प्रस्तुत किया है। कृति शोधपूर्ण है। लेखक का श्रम सराहनीय एवं प्रशंसनीय है।
(6) Soul Science- Samayasara
by Achrya Kundakunda - Part 1 लेखक - डॉ. पारसमल अग्रवाल, प्रकाशक- कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ ५८४, एम.जी. रोड, तुकोगंज, इन्दौर-४५२००१ (म.प्र.), मूल्य : २५० रु. विदेश में ६००रु. पृष्ठ सं. २१६ ।
आ० कुन्दकुन्ददेव के अध्यात्म ग्रन्थ 'समयसार' के अंग्रेजी में अनुवाद एवं आधुनिक वैज्ञानिक शैली में सरल टीका। लेखक १६ वर्ष अमरीका में विजिटिंग प्रोफेसर एवं वैज्ञानिक पदों पर रहे। लेखक भौतिक विज्ञान व जैनदर्शन के अध्येता हैं। आकाशद्वीप की भाँति युवा पीढ़ी को मार्ग प्रशस्त करने वाली श्रेष्ठ कृति।
समीक्षाकार-प्रा. निहालचंद जैन निदेशक- वीर सेवा मंदिर, दरियागंज, नई दिल्ली-२