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अनेकान्त 67/2, अप्रैल-जून 2014 हाथी के पैर के नीचे आने वाले मेढक जैसे तुच्छ तिर्यच प्राणी के लिये भी उद्धार का मार्ग खुला है।
___ सर्वोदय तीर्थ का लक्ष्य सर्वतोन्मुखी, सर्वदुखहारा, सर्वजनहिताय, सत्वेषु मैत्री की भावना से युक्त, परस्पर विचारों की ऐक्यता कायम कर जीव मात्र को समता की अनुभूति कराने वाला है। मानव जाति के लिये यह अस्तित्त्व की भावना सर्वोदय तीर्थ से प्राप्त होती है। सर्वोदय तीर्थ में सबका आदर है, सबकी मंगल कामना है। होवे सारी प्रजा को सुख की भावना से प्राणीमात्र का कल्याण है।
Sarvodaya is a term means universal uplift and progress of all. Economic and social development and improvement of a community as a whole.
नेट व सोशल मीडिया पर देखें तो सर्वोदय शब्द का प्रयोग महात्मा गाँधी ने प्रारंभ किया, ऐसी उनकी अवधारणा है परन्तु यह सही नहीं है।
आचार्य समन्तभद्र की ११ रचनाओं में युक्त्यानुशासन ६४ पदों की रचना है। भगवान महावीर के सर्वोदय तीर्थ का महत्व प्रतिपादित करने के लिये उनकी स्तुति की गई है। इसमें युक्ति पूर्वक भगवान महावीर के शासन का मण्डन और विरुद्ध मतों का खण्डन किया गया है। जिनशासन की वृहत् भावना को इन पदों में समाविष्ट करके आचार्य समन्तभद्र स्वामी ने गागर में सागर भर देने की कहावत को चरितार्थ किया है। यह एक बहुत महत्वपूर्ण ग्रन्थ है जिसके ६२वें श्लोक में आचार्य समन्तभद्र लिखते हैं -
सर्वान्तवत्तद् गुणमुख्य कल्पं सर्वस्व शून्य च मिथोऽनपेक्षम् सर्वपदामनकरं निरन्तं
सर्वोदयं तीर्थमिदं तवैव। अर्थात् आपका यह तीर्थ सर्वोदय सबका कल्याण करने वाला है, जिसमें सामान्य-विशेष, द्रव्यार्थिक-पर्यायार्थिक, अस्ति-नास्ति रूप सभी धर्म गौण मुख्य रूप से रहते हैं। यह सभी धर्म परस्पर सापेक्ष हैं अन्यथा द्रव्य में कोई धर्म या गुण नहीं रह पायेगा तथा यह सभी की आपत्तियों को दूर करने