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अनेकान्त 67/2, अप्रैल-जून 2014 साथ अंकित किया गया है। बेलबूटों का अंकन तो अद्वितीय है। जैनग्रन्थ चित्रों के बीच-बीच में छत्र, कमल और स्वास्तिक आदि का चित्रण उनकी शोभा-सज्जा में चार-चांद लगा देते हैं। ५. नारी रूपों का अंकन एक निश्चित सीमा तक हुआ है। नारी चित्रण की दृष्टि से तीर्थकरों की शासनदेवियाँ प्रमुख रूप रूप से चित्रित हुई हैं। ६. वस्त्राभूषणों की दृष्टि से जैनचित्रों में धोतियों की सज्जा और वस्त्रों पर स्वर्णकलम से उभारे गये बेलबूटे, दुपट्टे और मुकुट दर्शनीय है। स्त्रियों के शरीर पर चोली, चूनर, रंगीन धोती और कटिपट दर्शाये गये हैं। इनके भाल पर टिकुली, कानों में कुन्डल और बाहों में बाजूबन्द हैं। पुरुषों और स्त्रियों दोनों को रत्नमालाओं से अलंकृत किया गया है।
अहिंसा प्रधान जैन धर्म में जीव दया और लोकोपकार की जो महती भावना सर्वत्र व्याप्त है, जैन कलाकारों ने उससे प्रेरणा प्राप्त कर ऐसी कलाकृतियों का निर्माण किया जिनमें अपार शान्ति और अपार्थिव विश्रान्ति का भाव ध्वनित होता है। इन कृतियों को इतनी मान्यता प्राप्त होने का एक कारण यह भी है कि, इनमें महान मानवीय आदर्शों को प्रस्तुत करने का सराहनीय उद्योग हुआ है।
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- जी-४, जीवनसागर अपार्टमेंट, (एअरसेल आफिस के सामने) ६, मालवीय नगर, भोपाल (म.प्र.)