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राजनैतिक और सैनिक महत्व
इतिहास-सम्बन्धी बहुत सी नवीन और बहुमूल्य सामग्री है। इन्हीं जिल्दों में कई स्थानों पर गंगारामजी कोठारी और उनके सेना संचालन का उल्लेख आया है।
____ उक्त पत्रों से मालूम होता है कि महाराजा यशवंतराव के समय में जो प्रभाव अमीरखा, गफूरखा प्रभृति व्यक्तियों का था वही प्रभाव इस समय गंगारामजी कोठारी का था। अन्तर केवल इतना ही था कि अमीरखाँ मौका पाते ही बहुत सी जमीन दबा बैग और उसने अपना स्वतंत्र राज्य कायम कर लिया। गंगारामजी कोठारी के खून में स्वामिभक्ति के परिमाणु होने से, उन्होंने ऐसा करना ठीक न समझा। उन्होंने जो कुछकिया वह सब अपने स्वामी इन्दौर नरेश के लिये किया पर तत्कालीन इतिहास ग्रन्थों में उनके पराक्रमों का जो वर्णन है, उनसे उनकी महानता पर बहुत ही अच्छा प्रकाश गिरता है। Abarrey macke मामक एक तत्कालीन इतिहास लेखक अपने "Chiefs of Central India" नामक ग्रन्थ के पृष्ठ ३० के फुटनोट में लिखते हैं।
__ "Gangaram Kothari, a Mahajan, was at this time Governor of Jaora. He was a man of considerable ability and Jaswantrao also employed him as Governor of Rampara and several other places.
अर्थात् गंगाराम कोठारी नामक महाजन इस वक्त जावरे के शासक थे। ये अत्यन्त प्रतिमा सम्पच महानुभाव थे । यशवंतराव होलकर ने इन्हें रामपुरा तथा बहुत से स्थानों का शासक ( Governor) नियुक्त किया ।
मि० बाउल्जर व्दारा संग्रहीत पार्लमेन्टरी पेपरों में २५ जनवरी सन् १८०६ में एक संवाद दिया गया है। वह इस प्रकार है । .
'In the neighbourhood of Malhargarh and Narsinghgarh was a force belonging to Gangaram Kothari acting immediately under the authority of Jaswantrao Holkar. This force lately has committed Considerable depredations on the territory of Daulatrao Scindiah.
अर्थात् मल्हारगढ़ और नरसिंहगढ़ के पास एक फौज़ पड़ी हुई थी जो गंगाराम कोठारी के सेना. पतित्व में थी। ये गंगाराम कोठारी यशवंतराव होलकर की आज्ञानुसार सेना संचालन का कार्य करते थे। इस फौज ने अभी-अभी दौलतराव सिंधिया के मुल्कों में बहुत लूट मार की।
मिस्टर बाउरूजर द्वारा संग्रहीत उक्त पार्लियामेन्टरी पेपरों के पृष्ठ २९८ में ईसवी सन् १८०९ की 16 वीं अक्टूबर का निम्नलिखित सम्बाद दिया गया है। वह इस प्रकार है। . . .