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बोरड़-बरड
लाला नत्थुमलजी-आपका जन्म संवत् ११२६ में हुआ। आप इस खानदान में बड़े नामी और प्रसिद्ध पुरुष हैं। आप जैन साधुओं की सेवा बहुत उत्साह प्रसन्नता से करते हैं। जाति सेवा में भी आप बहुत भाग लेते हैं। पंजाब की सुप्रसिद्ध स्थानकवासी जैन सभा के करीब दस बारह साल तक प्रेसिडेण्ट रहे । इसी प्रकार आल इण्डिया स्थानकवासी कान्फ्रेन्स के भी आप करीब २० साल तक स्थानीय सेक्रेटरी रहे । इस समय भी आप अमृतसर की लोकल जैन सभा के प्रेसिडेण्ट हैं। भाप उन पाँच व्यक्तियों में से एक हैं जिन्होंने पंजाब के जैन समाज में सबसे पहिले नवजीवन फूंका। आपके इस समय तीन पुत्र हैं। जिनके नाम लाला उमरावसिंहजी, लाला जमनादासजी, लाला शोरीलालजी हैं । आप तीनों भाई बड़े बुद्धिमान और योग्य हैं और अपने व्यापारिक काम को करते हैं। लाला उमरावसिंहजी की शादी जम्बू के सुप्रसिद्ध दीवान बहादुर विशनदासजी की कन्या से हुई। इनके दो पुत्र हैं जिनके नाम मनोहरलाल और सुभाषचन्द्र हैं। लाला जमनादासजी के सुरेन्द्रकुमार और सुमेरकुमार और शोरीलालजी के सत्येन्द्रकुमार नामक पुत्र हैं।
- लाला लालचन्दजी का जन्म संवत् १९४१ का है। आप भी इस समय दुकान का काम करते हैं लाला हरनारायणजी के पुत्र लाला हंसराजजी हुए । हंसराजजी के पुत्र धरमसागरजी इस समय एफ. ए. में पढ़ते हैं।
लाला गंगाविशनली के पुत्र लाला मथुरादासजी का स्वर्गवास सन् १९१३ में हुआ। आपके पुत्र वृजलालजी और रामलालजी हैं। वृजलालजी कमीशन एजन्सी का काम करते हैं। आपके रतनसागर, मोतीसागर और स्वर्णसागर नामक तीन पुत्र हैं । रवनसपार एफ. ए. में पढ़ते हैं। रामलालजी लखनऊ और मसूरी में फैन्सी सिल्क और गुड्स का व्यापार करते हैं। ...
लाला बदरीशाह सोहनलाल बरड़, गुजरानवाला इस खानदान के पूर्वज लाला पल्लेशाहजी और उनके पुत्र टेकचंदजी पपनखा (गुजरानवाला) रहते थे । वहाँ से टेकचन्दजी के पुत्र लाला दरबारीलालजी सन् १७९० में गुजरानवाला आये । आप जवाहरात का व्यापार करते थे। आपके पुत्र विशनदासजी तथा पौत्र देवीदत्ताशाहजी तथा हाकमशाहजी हुए। लाला हाकमशाहजी ने सराफी धंधे में ज्यादा उन्नति की । धर्म के कामों में आपका ज्यादा लक्ष था । संवत् १९६७ में आपका स्वर्गवास हुआ। आपके महताबशाहजी, सोहनलालजी, बदरीशाहजी, शंकरदासजी, चुन्नीलालजी, जमीताशाहजी तथा बेलीरामजी नामक पुत्र हुए। ये सब भ्राता अपने पिताजी की विद्यमानता में ही संवत् १९५३ में अलग २ हो गये थे। इन भाइयों में लाला महताबशाहजी का स्वर्गवास संवत् १९५७ में लाला बदरीशाहजी का १९६७ में तथा जमीताशाहजी का १९७८ में हुआ।
इस समय इस विस्तृत परिवार में लाला सोहनलालजी सबसे बड़े हैं। आपका जन्म संवत् १९१५ में हुआ । आपका परिवार यहाँ के व्यापारिक समाज में अच्छी प्रतिष्ठा रखता है। आपने व्यापार में सम्पत्ति कमाकर अपने खानदान की प्रतिष्ठा को काफी बढ़ाया है। आपके भाई बदरीशाहजी ने आपके साथ में "बदरीशाह सोहनलाल"के नाम से सम्बत् १९४७ में आढ़त का व्यापार शुरू किया, तथा इस काम में भी अच्छी उन्नति की है। इस खानदान की स्थावर जंगम सम्पत्ति यहाँ काफी तादाद में है। लगभग हजार बीघा जमीन आपके पास है। इस परिवार का ५ दुकानों पर सराफी व्यापार होता है।
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