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देवड़ा और डॉगी
का जन्म संवत् १९३८ में हुआ आप आरंभ में सांड़े राव ठिकाने में कामदार रहे। संवत् १९८३ में आप सिरोही स्टेट में कस्टम सुपरिटेन्डेन्ट हुए । तथा इस पद के साथ इस समय आप कंट्रोल हाउस होल्ड और जंगलात आफीसर भी हैं। सिरोही दरबार की आप पर अच्छी मरजी है। तथा समय २ पर आपको तथा धनराजजी घेमावत को दरबार ने सिरोपाव देकर सम्मानित किया है ।
देवड़ा
सेठ बुधमल जुहारमल देवड़ा, औरंगाबाद ( दक्षिण )
सिरोही के देवड़ा राजवंश से इंस परिवार का प्राचीन सम्बन्ध है । वहाँ से ३०० वर्ष पूर्व इस परिवार ने बगड़ी में आकर अपना निवास बनाया । यह कुटुम्ब स्थानकवासी भाम्नाय का मानने वाला है। बगड़ी से संवत् १८५५ में सेठ ओटाजी के पुत्र बुधमलजी पैदल रास्ते से औरंगाबाद आये । तथा " बुधमक जुहारमल" के नाम से किराने की दुकान की। आपके पुत्र जुहारमलजी तथा पूनमचन्दजी मे व्यापार को उन्नति दी। सेठ जुहारमलजी ने संवत् १९३८ में " पूनमचन्द वख्तावरमल" के नाम से सम्बई में दुकान खोली । इन बंधुओं के बाद सेठ जुहारमलजी के पुत्र सेठ गुरुतावरमलबी ने तथा सेठ पूनमचन्दजी के पुत्र सेठ जसराजजी ने इस दुकान के व्यापार सथा सम्मान को बहुत बढ़ाया । संवत् १९५८ में यह फर्म “औरंगाबाद मिल लिमिटेड” की बैंकर हुई। और इसके दूसरे ही साल मिल की सोल एजेन्सी इस फर्म पर आई । इसी साल फर्म की शाखाएं वरंगल, नांदेड, परभणी, जालना, सिकंदराबाद आदि स्थानों में खोली गई । संवत् १९६८ में इस दुकान की एक शाखा “गणेशदास, समरथमक" के नाम से मूलजी जेठा मारकीट बम्बई में खोली गई । इन सब स्थानों पर इस समय 1 सफलता के साथ व्यापार हो रहा है । तथा सब स्थानों पर यह फर्म प्रतिष्ठित मानी जाती 1. सेठ वख्तावरमलजी देवड़ा का स्वर्गवास संवत् १९८७ में ६९ साल की आयु में हुआ । जोधपुर स्टेट के जसवंतपुरा नामक गांव के १४ सालों तक ऑनरेरी मजिस्ट्रेट रहे । इसी प्रकार आपने बहुत प्रतिष्ठा प्राप्त की । सेठ जसराजजी संवत् १९८९ में स्वर्गवासी हुए । स्टेशन पर ७० हजार रुपयों की लागत से एक सुन्दर धर्मशाला बनवाई | बगड़ी में ४० सालों से एक पाठशाला व सदावृत 'चला रहे हैं । यहाँ एक समरथ सागर नामक सुंदर बावड़ी तथा १ धर्मशाला भी बन वाई। इसी तरह औरंगाबाद में मन्दिरों तथा धर्मशालाओं में २० हजार रुपये खरच किये। इसी तरह के कई धार्मिक काम इस परिवार ने किये ।
आप
इस परिवार ने औरंगाबाद
वर्तमान में इस फर्म के मालिक सेठ वख्तावरमलजी के पुत्र शेषमलजी तथा जसराजजी के पुत्र मेवराजजी, हस्तीमलजी तथा फूलचन्दजी हैं। सेठ मेघराजजी के पुत्र मोहनलालजी भी कारोबार में भाग छेते हैं। यह परिवार निजाम स्टेट तथा बगड़ी में बहुत प्रतिष्ठित माना जाता है।
डाँगी
शाहपुरा का डाँगी खानदान
इस परिवार के पूर्वज मेवाड़ में उच्च श्रेणी के व्यापारी तथा बैंकर्स थे। जब महाराणा अमरसिंह
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