Book Title: Oswal Jati Ka Itihas
Author(s): Oswal History Publishing House
Publisher: Oswal History Publishing House

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Page 1396
________________ श्रीसंवाल जाति का इतिहास हुए। आपके तोलारामजी, मोतीलालजी, प्रेमसुखजी, नेमचन्दजी एवं सोहनलालजी नामक ५ पुत्र हुए । इनमें तोलारामजी सम्वत् १९७२ में गुजर गये । तथा शेष ४ भाई विद्यमान हैं। श्री प्रेमसुखजो अपने काका सेठ रावतमलजी के नाम पर दत्तक गये हैं । सेठ रावतमलजी का जन्म सम्वत् १९१८ में हुआ । आपने मोलवी बाजार के व्यापारियों में अच्छी इज्जत पाई । आप वहाँ की लोकल बोर्ड के मेम्बर भी रहे थे । सम्बत् १९७७ में आपने श्रीमङ्गल के नूतन बाजार में दुकान खोली । इस समय आप देशनोक में ही धार्मिक जीवन बिताते हैं । आपके दत्तक पुत्र श्री प्रेमसुखजी का जन्म संवत् १९५८ में हुआ। आपका मोलवी बाजार और श्रीमङ्गल की दुकानों के अतिरिक्त प्रेमनगर ( सिलहट ) में भागीदारी में एक चाय का बागान है। इन स्थानों पर और देशनोक में यह परिवार अच्छा प्रतिष्ठित माना जाता है । इसी प्रकार सेठ पीरदानजी के शेष पुत्र मोतीलालजी, नेमचन्दजी तथा सोहनलालजी, श्रीमंगल, भानुगास और समशेरनगर ( सिलहट ) में अपना स्वतन्त्र व्यापार करते हैं । सेठ चतुर्भुज हनुमान बख्श बोथरा, गंगाशहर यह परिवार जालोर से घोड़वण, भग्गू और वहाँ से पार वा आकर आबाद हुआ । पारवा से संवत् १९७६ में गंगाशहर में इस परिवार ने अपना निवास बनाया। इस परिवार के पूर्वज सेठ लालचन्दजी के पुत्र जोरावरमलजी बोथरा संवत् १९०५ में दिनाजपुर गये तथा वहाँ अपना धंधा शुरू किया । संवत् १९३० में आपने फूलवाड़ी ( दिनाजपुर ) में अपनी दुकान खोली । आपके अगरचन्दजी, चुन्नीलालजी, तनसुखदासजी, राजरूपजी एवं चतुर्भुजजी नामक ५ पुत्र हुए। संवत् १९४४ में सेठ जोरावरमलजी स्वर्गवासी हुए । संवत् १९४३ में सेठ चतुर्भुजजी बंगाल गये, एवं कलकत्ते में “अगरचन्द चतुर्भुज” के नाम से दुकान खोली 1 सेठ चतुर्भुजजी के हाथों से इस दुकान के व्यापार तथा सम्मान को उन्नति मिली । संवत् १९८३ में इस फर्म से सेठ राजरूपजी और अगरचन्दजी का तथा संवत् १९८८ में सेठ तनसुखदासजी का कारबार अलग हुआ । इस समय सेठ चुन्नीलालजी एवं चतुर्भुजजी का व्यापार शामिल है। सेठ चुन्नीलालजी के पुत्र कालूरामजी, चिमनीरामजी, रेखचन्दजी, पुसराजजी एवं अमोलकचन्दजी तथा सेठ चतुर्भुजजी बोथरा के पुत्र हनुमानमलजी एवं तोलारामजी हुए। इन भाइयों में चिमनीरामजी, रेखचन्दजी और सराजजी का स्वर्गवास हो गया है। तथा कालुरामजी, अमोलकचन्दजी एवं हनुमानमलजी व्यापार में भाग लेते हैं । इस परिवार का " चतुर्भुज हनुमान बख्श " के नाम से १६ बनफील्ड्स लेन कलकत्ता में जूट कपड़ा तथा आढ़त का कारबार होता है । गंगाशहर में यह परिवार अच्छा प्रतिष्ठित माना है। इसी तरह इस परिवार में सेठ अगरचन्दजी के दत्तक पौत्र घेवरचन्दजी तथा राजरूपजी के पुत्र जसरूपजी और रामलालजी “अगरचन्द रामलाल" के नाम से ६९५ /१ हरिसन रोड में एवं तन सुखदासजी के पुत्र रावतमलजी, “इन्द्रचन्द्र प्रेमसुख" के नाम से आर्मेनियन स्ट्रीट में व्यापार करते हैं । यह परिवार श्वेताम्बर जैन स्था० आम्नाय का माननेवाला है । ६८८

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