Book Title: Oswal Jati Ka Itihas
Author(s): Oswal History Publishing House
Publisher: Oswal History Publishing House

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Page 1397
________________ सेठिया और दुधोरिया सेठ दुलीचन्दजी सेठिया का परिवार बीदासर (बीकानेर स्टेट) इस परिवार का मूल निवास बीदासर है। यहाँ से सेठ भेरोंदानजी सेठिया ८ साल की उमर में कलकत्ता गये। एवं सेठ थानसिंह करमचन्द दूगड़ के यहाँ मुनीमात करते रहे, इनके पुत्र सेठ दुलीचन्दजी सेठिया १९३८ में कलकत्ता गये, तथा दूगड़ फर्म पर भागीदारी में व्यापार करते रहे । पश्चात् १९७२ में थानमलजी मुहणोत आदि के साथ “दुलीचन्द थानमल" के नाम से जूट का व्यापार शुरू कर अपनी कई शाखाएं बाहर खोली। संवत् १९८० में आप स्वर्ग वासी हो गये। इस समय आपके पुत्र प्रतापमल्जी , जेठमलजी एवं आपके छोटे भाई कुंदनमलजी तथा मोतीचंदजी विद्यमान हैं। आप सब सज्जन व्यक्ति हैं। तथा बीदासर में भापका परिवार अच्छा प्रतिष्ठित माना जाता है। सेठ प्रतापमलजी के ५ जेठमलजी के १ मोतीचन्दजी के ३ एवं कुंदनमलजी के ७ पुत्र हैं । सेठ छोगमल मोहनलाल दुधोरिया, छापर ( बीकानेर स्टेट) यह परिवार मूल निवासी लाच्छरसर (बीकानेर) का है। वहाँ से सेठ भारमलजी दुधेरिया संवत् १९१२ में छापर आये। आपके सूरजमलजी, वींजराजजी एवं छोगमलजी नामक तीन पुत्र हुए। छापर से सेठ सूरजमलजी दुधोरिया व्यापार के लिये शिलांग गये. एवं वहाँ गवर्नमेंट आर्मी को रसद सप्लाय करने का कार्य करने लगे। आपके साथ आपके बंधु सेठ शेरमलजी एवं कालरामजी दुधोरिया भी सम्मिलित थे। इन भाइयों ने व्यापार में अच्छी सम्पत्ति पैदा कर अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाई। पीछे से सेठ बींजराजजी तथा छोगमलजी दुधोरिया भी शिलांग गये। तथा इन भाइयों ने तेजपुर, पटना, कलकत्ता गोहाटी, आदि स्थानों में अपनी दुकाने खोली। एवं इन दुकानों पर रबर चलानी एवं अफीम गांजे की कंट्राक्टिंग का व्यापार शुरू किया। इन सज्जनों के साथ लाडनूं के सेठ शिवचन्द सुल्तानमल सिंघी तथा हजारीमल मुलतानमल बोरड़ भी सम्मिलित थे। संवत् १९६० में कालूरामजी और पांचीरामजी दुधोरिया इस फर्म से अलग हुए। इसी तरह और लोग भी अलग २ हो गये। संवत् १९७८ में सेठ भारमलजी दधारिया के पुत्र भी अलग २ हो गये। तथा सरजमलजी एवं बीजराजजी साथ में और छोगमलजो एवं चोथमलजी ( शेरमलजी के पुत्र ) सामिल व्यापार करते रहे। सेठ सूरजमलजी का १९३० बींजराजजी का १९८७ में तथा छोगमलजी का संवत १९८२ में स्वर्गवास हुआ। सेठ बींजराजजी के पुत्र चुन्नीलालजी, सागरमलजी तथा धनराजजी हुए। इनमें सेठ सागरमलजी, दुधोरिया सूरजमलजी के नाम पर दत्तक गये। वर्तमान में आप तीनों भाइयों के तेजपुर में 'भारमल सूरजमल" के नाम से कई “चाय बागान" हैं । इसी प्रकार सेठ छोगमलजी के पुत्र मोहनलालजी, तिलोकचन्दजी तथा जसकरणजी गोहाटी में "छोगमल मोहनलाल" के नाम से आढ़त का व्यापार करते हैं। सागरमलजी के पुत्र मांगीलालजी, चुन्नीलालजी के पुत्र हजारीमलजी, जयचन्दलालजी, मालचंदजी, मांगीलालजी, तथा मोहनलालजी के पुत्र पूनमचन्दजी, लादूरामजी एवं तिलोकचन्दजी के पुत्र समीरमल हैं। १२६ B

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