Book Title: Oswal Jati Ka Itihas
Author(s): Oswal History Publishing House
Publisher: Oswal History Publishing House

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Page 1386
________________ ओसवाल जाति का इतिहास वीकानेर में प्रेक्टिस करते हैं, एवं यहाँ के नामी वकील माने जाते हैं। आप बड़े मिलनसार एवं समनदार युवक हैं। तथा स्थानीय ओसवाल जैन पाठशाला एवं महाबीर मंडल की व्यवस्थापक कमेटी के मेम्बर हैं। आप शुद्ध खादी पहिनते हैं। मेहता रतनलालजी, जतनलालजी कोचर का खानदान-हम ऊपर मेहता चन्द्रसेनजी तथा उनके पुत्र अजबसिंहजी एवं अनोपचन्दजी का परिचय दे चुके हैं। मेहता अनोपचन्दजी फरासखाने के मुंसरीम थे । आपके आसकरणजी, माणकचन्दजी एवं हठीसिंहजी नामक ३ पुत्र हुए । इनमें मेहता हठीसिंहजी के पुत्र रिखनाथजी हुए, जो आसकरणजी के नाम पर दत्तक गये । मेहता रिखनाथजी राज्य में सर्विस करते रहे । आप बड़ी धार्मिक वृति के पुरुष थे । आपके सुजानमलजी, चुन्नीलालजी एवं पन्नालालजी नामक ३ पुत्र हुए। इन बन्धुओं ने भी स्टेट की अच्छी सेवकाई की । मेहता पन्नालालजी, राव छतरसिंहजी के वेद के साथ महाजन, बीदासर तथा नौहर की लड़ाइयों में शामिल हुए थे। आपके अनाड़मलजी तथा जसकरणजी नामक २ पुत्र हुए। मेहता अनाड़मलजी ने बीकानेर स्टेट के कस्टम विभाग के स्थापन में अच्छा सहयोग लिया था । आप चतर एवं प्रभावशाली व्यक्ति थे। आपके रतनलालजी, जतनलालजी एवं राजमलजी नामक ३ पुत्र हुए, इनमें जवनलालजी मेहता जसकरणजी के नाम पर दत्तक गये। मेहता जसकरणजी का स्वर्गवास संवत् १९७५ में हुआ। मेहता रतनलालजी इस परिवार में बहुत समझदार एवं अपने समाज में सम्माननीय व्यक्ति थे । संवत् १९८९ में आप स्वर्गवासी हुए। आपके छोटे बंधु मेहता जतनलालजी का जन्म संवत् १९५० में हुआ। आप लगभग ३५ सालों से बीकानेर रियासत. में सर्विस करते हैं । एवं इस समय कस्टम सुपरिटेन्डेन्ट के पद पर हैं । आपने अपने पुत्रों को उच्च शिक्षा दिलाने में अच्छा लक्ष दिया है। आपके पुत्र चम्पालालजी, कन्हैयालालजी एवं शिखरचन्दजी हैं। . मेहता चम्पालालजी बी० ए० एल० एल० बी०-आपका जन्म संवत् १९६५ में हुआ । सन् १९२८ में आपने बनारस युनिवर्सिटी से बी० ए० एवं सन् १९३१ में एल० एल० बी० की डिगरी हासिल की । इसके पश्चात् आप बीकानेर स्टेट में नायब तहसीलदार, तहसीलदार एवं इंचार्ज नाजिम के पद पर कार्य करते रहे, एवं इस समय आप असिस्टेंट टू दि रेवेन्यू कमिश्नर बीकानेर हैं। आप बड़े सुशील, होमहार एवं उग्र बुद्धि के युवक हैं। इतनी अल्प वय में जिम्मेदारी पूर्ण ओहदों का कार्य बड़ी तत्परता से करते हैं । आपके छोटे बंधु कन्हैयालालजी बी० ए० की तयारी कर रहे हैं। तथा उनसे छोटे शिखरचन्दजी बनारस युनिवर्सिटी में बी० ए० में पढ़ रहे हैं। आपके काका मेहता राजमलजी व्यापार करते हैं। इनके बड़े पुत्र सिरेमलजी मेट्रिक में पढ़ते हैं। : मेहता शिववख्शजी कोचर का खानदान-हम ऊपर लिख आये हैं कि मेहता चन्द्रसेनजी के छोटे भाई इन्दसेनजी थे। इनके पश्चात् क्रमशः हरीसिंहजो, गाजीमलजी, प्रतापमलजी एवं चुन्नीलालजी हुए। मेहता चुन्नीलालजी के मलूकचन्दजी एवं जेठमलजी नामक २ पुत्र हुए। आप दोनों भाई स्टेट की सर्विस करते रहे। इनमें मेहता मलूकचन्दजी संवत् १९५७ में स्वर्गवासी हुए। आपके शिववख्शजी तथा हीराचन्दजी नामक २ पुत्र विद्यमान हैं। इनमें हीराचन्दजी, जेठमलजी के नाम पर दत्तक गये हैं। मेहता शिववख्शजी का जन्म संवत् १९३९ में हुआ। मेट्रिक तक शिक्षा प्राप्त कर सन् १९०० में आप

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