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माहटा
बीकानेर स्टेट सर्विस में शामिल हुए। तथा कई औहदों पर कार्य करते हुए सन् १९१९ में आप असिस्टेंट इन्स्पेक्टर जनरल कस्टम एण्ड एक्साइज़ के पद पर मुकरर हुए, और तब से इस पद पर काम करते हैं। इस समय आप बीकानेर के कोचर परिवार में सबसे ऊँचे ओहदे पर हैं। स्थानीय ओसवाल जैन पाठशाला की उन्नति में आपका बजनदार सहयोग रहा है। आप सज्जन एवं प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं। सेठ लखमीचन्दजी रामलालजी नाहटा का परिवार भादरा (बीकानेर स्टेट)
इस परिवार के पूर्वज नाहटा खेतसीदासजी बिल्लू ( भादरा से २२ कोस) से लग भग १०० साल पूर्व भादरा में आकर आबाद हुए। आपके नवलचन्दजी तथा जेठमलजी नामक २ पुत्र हुए। भाप दोनों बन्धु भी साधारण लेन देन करते रहे। सेठ नवलचंदजी के रामलालजी एवं जेठममजी के लखमीचन्दजी नामक पुत्र हुए।
सेठ रामलालजी नाहटा का परिवार-सेठ रामलालजी का जन्म संवत् १९२३ में हुआ। आप भादरा एवं आसपास की जनता में प्रतिष्ठा प्राप्त महानुभाव थे। संवत् १९७८ से ८५ तक भाप बीकानेर स्टेट कोंसिल की मेम्बर शिप के सम्माननीय पद पर निर्वाचित रहे। इसके अलावा आप बहुत समय तक भादरा म्यु. के मेम्बर रहे। जनता आपको बड़े आदर की निगाहों से देखती थी। संवत् १९८५ की मगसर सुदी ५ को आप स्वर्गवासी हुए। आपके लूणकरणजी, सुगनचन्दजी एवं पनालालजी नाम ३ पुत्र विद्यमान हैं। आप बंधुओं का जन्म क्रमशः संवत् १९४५, ५० तथा १९६१ में हुआ है। मेहता लूणकरणजी भादरा म्यु. के मेम्बर हैं। आपके पुत्र नेमीचन्दजी, सोहनलालजी, मोहनलालजी, भवरलालजी एवं हुकुमचन्दजी हैं। नाहटा सुगनचन्दजी के पुत्र इन्द्रचन्द्रजी हैं। नाहटा पन्नालालजी समझदार तथा मिलमसार सजन हैं। आपके पुत्र रामचन्दजी हैं। आपके यहाँ “नवलचन्द रामलाल" के नाम से व्यापार होता है । तथा निर्मली ( भागलपुर ) और फाजिलका में आपकी दुकानें हैं, जिन पर जमीदारी तथा लेन देन का व्यापार होता है। यह परिवार भादरा में अच्छी प्रतिष्ठा रखता है।
सेठ लखमीचन्दजी नाहटा का परिवार-सेठ लखमीचन्दजी का जन्म संवत् १९०० में हुआ। आप इस परिवार में बड़े नामांकित व्यक्ति हुए आपने अपने आसामी लेन देन के व्यापार को बहुत बढ़ाया, एवं इसमें सम्पत्ति उपार्जित कर संवत् १९५३ में हिसार जिले में सारंगपुर नामक एक गाँव खरीद किया। व्यापार और स्टेट की वृद्धि के साथ २ आपने बीकानेर स्टेट एवं जनता में भी काफी सम्मान पाया। ६ सालों तक आपको बीकानेर स्टेट कौंसिल की मेम्बरी का सम्मान मिला। भादरा व आसपास की जनता आपका बड़ा आदर करती थी। आप बड़े सरल पुरुष थे, अभिमान आपको छू तक नहीं गया था। इस प्रकार प्रतिष्ठा पूर्वक जीवन विताते हुए संवत् १९७७ की भादवा सुदी १२ को आप स्वर्गवासी हुए। आपके पुत्र सेठ भेरोंदानजी नाहटा होनहार तथा जनता में प्रिय युवक थे। लेकिन संवत १९६२ में २८ साल की वय में इनका स्वर्गवास हो गया । आपके पुत्र नाहटा पुनमचन्दजी का जन्म संवत् १९५८ की भासोज सुदी १५ को हुआ। आप भी अपने पूर्वजों की तरह प्रतिष्ठिति एवं समझदार सज्जन हैं। संवत १९८५ से
आप बीकानेर स्टेट असेन्बली की मेम्बरी का स्थान सुशोभित कर रहे हैं। इधर ३ सालों से भादरा म्यु० के मेम्बर व 5 साल से वाइस प्रेसिडेंट हैं। यूरोपीय वार के समय गव्हर्नमेंट ने सार्टिफिकेट एवं