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पूनमियां और ललूडिया राठोड़
भापके जुहारमलजी, मोतीचन्दजी, छोगमलजी तथा हजारीमलजी नामक पुत्र हुए। भटेवड़ा जुहारमलजी का स्वर्गवास सम्वत् १९५८ में ६४ साल की वय में हुआ। आपके नाम पर आपके भतीजे गुलाबचन्दजी दत्तक आये । इस समय इनके पुत्र केवलचन्दजी तथा घेवरचन्दजी बेलूर में व्यापार करते हैं। वलचंदजी पुत्र सोहनराजजी तथा सम्पतराजजी हैं।
भटेवड़ा मोतीचन्दजी का जन्म सम्बत् १९०० में हआ था। आपने २६ साल की वय में जालना से सागर में अपनी दुकान खोली । आप सरल प्रकृति के सजन थे । सम्बत् १९३४ में आपका स्वर्गवास हो गया। आपके पुत्र सेठ निहालचन्दजी विद्यमान हैं। आप बेलूर के प्रतिष्ठित सज्जन माने जाते हैं। आपने बेलूर में “मोतीचन्द निहालचन्द" के नाम से फर्म स्थापित की। इस समय यह फर्म बेलूर में मातवर है। आपके यहाँ बेकिंग तथा सराफी का काम होता है। सेठ छोगमलजी के पुत्र सूरजमलजी व गुलाबचन्दजी हुए। इनमें गुलाबचन्दजी, अपने काका सेठ जुहारमलजी के नाम पर दत्तक गये, तथा सरजमलजी के पुत्र हीराचन्दजी ओर बनेचन्दजी बेलूर में अपना २ स्वतन्त्र व्यापार करते हैं। हीराचन्दजी के पुत्र भंवरीलालजी तथा बनेचन्दजी के विजयराजजी तथा सम्पतराजजी हैं। सेठ हजारीमलजी भटेवड़ाके पौत्र सुखराजजी विद्यमान हैं। इनके पुत्र चम्पालालजी हैं।
पूनमिया
सेठ ताराचन्द डाहजी पूनमियां, सादड़ी इस वंश का मूल निवास सादड़ी है । यहाँ से सेठ इंदाजी लगभग ०५ साल पहले सादड़ी से बम्बई गये । तथा इन्होंने बम्बई में सराफी लेन देन शुरू किया। इनके डाहजी, तेजमलजी तथा गेंदमलजी नामक ३ पुत्र हुए । डाहजी का जन्म सम्वत् १९१९ तथा मृत्युकाल सम्बतू १९७८ में हुआ। ये अपना सराफी लेनदेन व जुएलरी का काम काज देखते रहे । आप धार्मिक वृत्ति के पुरुष थे। आपके पुत्र केसरीमलजी, रूपचन्दजी तथा ताराचन्दजी विद्यमान हैं । इनमें केसरीमलजी, तेजमालजो के नाम पर दत्तक गये । इनकी बाँदरा (बम्बई) में चाँदो सोने की दुकान है । गेंदमलजी के पुत्र रिखबदासजी तथा बालचन्दजी हैं। इनका "रिखबदास बालचन्द" के नाम से मोती बाजार-बम्बई में गिनी का बड़ा कारबार होता है।
सेठ ताराचन्दजी-आप स्थानकवासी आम्नाय को मानने वाले हैं। आप सेठ नवलाजी दीपाजी के साथ बम्बई में बंगड़ियों का इम्पोटिंग तथा डीलिंग विजिनेस करते हैं। मापने देशी चूड़ियों के कारबार को भी अच्छी उत्तेजना दी है। ताराचन्दजी शिक्षित सज्जन हैं। आपने स्थानकवासी ज्ञानवर्द्धक सभा के लिये ६०००) का एक सुन्दर मकान बनवाया है। आप अन्य संस्थाओं को भी सहायताएँ देते रहते हैं।
ललडिया राठोड़ सेठ पृथ्वीराज नवलाजी, ललूंडिया राठोड़, सादड़ी इस वंश के पूर्वज जोकोदा (शिवगंज के पास) में रहते थे। वहाँ इन्होंने एक जैन मन्दिर भी बनवाया था । इस कुटुम्ब में दौलजी के पुत्र राजाजी तथा पौत्र खाजूजी हुए। जाकोड़ा से खाजूजी और १२२
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