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मौसवाल जाति का इतिहास
आपके लाला शादीरामजी, मुन्नालालजी तथा उमरावसिंहजी नामक ३ पुत्र हुए। लाला शादीरामजी बड़े योग्य तथा समझदार पुरुष थे। जाति विरादरी में आपकी अच्छी प्रतिष्ठा थी। आपका स्वर्गवास १२ साल की भायु में संवत् १९६४ में हुभा । आपके पुत्र लाला पक्षालाल जी का जन्म १९४७ में कुंदनमलजी का १९५१ में तथा कुज्जूमलजी का १९५० में हुभा तीनों भ्राता जवाहरात का व्यापार करते हैं। लाला मोतीरामजी के द्वतीय पुत्र मुन्नालालजी छोटी वय में स्वर्गवासी हुए तथा इनके छोटे भाई लाला उमरावसिंह जी संवत् १०८४ में स्वर्गवासी हुए। इनके जंगलीमलजी का जन्म संवत् १९२९ का है। आपके पुत्र फतेसिंहजी तथा कुन्दनमलजी के पुत्र कांतिकुमारजी हैं। देहली के ओसवाल समाज में यह खानदान पुराना तथा प्रतिष्ठित माना जाता है।
सेठ फौजमल आनन्दराम पारख, त्रिचनापल्ली इस परिवार का मूल निवास पांचला (तीवरी के पास) मारवाड़ है। इस परिवार के पूर्वज सेठ भेरूदानजी पारख के फौजमलजी तथा जेठमलजी नामक दो पुत्र हुए । इनमें सेठ फौजमलजी के आनंदगमजी और मगनीरामजी नामक २ पुत्र हुए।
सेठ आनन्दरामजी पारख का जन्म संवत् १९२५ में हुआ । सत्रह वर्ष की आयु में आप पल्टन के साथ रेजिमेंटल बैंकिंग का व्यापार करते हुए त्रिचनापल्ली आये । यहाँ भाकर मापने थोड़े समय तक सेठ रावतमलजी पारख के यहाँ सविसकी। पश्चात् आपने सुजानमल कोचर की भागीदारी में "आनन्दमल सुजानमल" के नाम से बैंकिंग व्यापार चालू किया । एक साल बाद इस फर्म में भखैचन्दजी पारख भी सम्मिलित हुए, एवम् इन तीनों सजनों ने अंग्रेजी फौजों के साथ जोरों से ५ दुकानों पर मनीलेडिंग विजिनेस चालू किया। आप पल्टन के खजाने के बेकिंग विजिनेस को सम्हालते थे । इसलिए रेजिमेंटल बैंकर्स के नाम से बोले जाते थे। इन सज्जनों ने अच्छी सम्पत्ति कमाई और अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाई। संवत् १९८० में सुजानमलजी के पुत्रों ने तथा १९८५ में अखेचन्दजी के पुत्रों ने अपना भाग अलग कर लिया। सन् १९२६ में सेठ आनन्दरामजी पारख स्वर्गवासी हुए। आपने त्रिचनापल्ली पांजरापोल को ५०००) की सहायता दी है। इस समय आपके पुत्र मूलचन्दजी " साल के तथा खेतमलजी ९ साल के हैं। इनकी नाबालगी में फर्म का प्रबन्ध ५ मेम्वरों की कमेटी के जिम्मे है। यह परिवार स्थानश्वासी आन्नाय मानता है तथा लगभग २० सालों से फलोदी में निवास करता है। वहाँ भी फौजमल आनन्दराम के नाम से आपके यहाँ बेकिंग व्यापार होता है। यह फर्म त्रिचनापल्ली के मारवाड़ी समाज में सबसे ज्यादा धनिक फर्म है।
सेठ जेठमल अखेचंद पारख, त्रिचनापल्ली ऊपर सेठ आनन्दरामजी के परिचय में लिखा जा चुका है कि पांचला ( मारवाड़) निवासी सेठ भेरुदानजी के फोजमलजी तथा जेठमलजी नामक २ पुत्र थे। इनमें सेठ जेठमलजी के अखेचन्दजी, धूलमलजी, अचलदासजी तथा रावतमलजी नामक ४ पुत्र हुए। इनमें सेठ धूलचन्दजी तथा अचलदासजी विद्यमान हैं। सेठ अखेचन्दजी सेठ आनन्दरामजी के साथ व्यापार करते रहे। संवत् १९७४ में आप स्वर्गवाती हुए। आपके पुत्र फूलचन्दजी ने संवत् १९८५ में सेठ आनन्दरामजी पारख से अपना म्यव.
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