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इम भाइयों में काला रामसरनदासजी इस खानदान में पानी पकि हुए। भाप संवत् १९४८ में स्वर्गवासी हुए । आपके पुत्र लाला लछमणदासबी ३२ साल की मानु में संवत् १९६२ में तथा बाबूरामजी उनके चार साल पहिले १९ साल की भायु में स्वर्गवासी हुए।' इस समय बाबू रामजी के पुत्र लाला नगीनालाइजी हैं । इनके टेकचन्दजी तथा बामप्रकाशजी नामक पुत्र हैं।
लाला कन्हैयालालजी-पापका स्वर्गवास १० साल की भायु में संवत् १९२६ में हुआ। उस समय मापके पुत्र काला रोशनलालजी एक साल के थे। लाला रोशनलालजी बड़े धर्मात्मा तथा योग्य व्यक्ति हैं। तथा'१० सालों से पटियाला की जैन बिरादरी के चौधरी हैं । भापके पुत्र काला पवालामजी १० साल के हैं। इनके पुत्र मामलजी हैं।
सेठ सवाईराम गुलाबचन्द विनायक्या, जालना (निजाम) __इस फर्म के मालिकों का मूल निवास स्थान रायपुर (जोधपुर स्टेट) का है। आप श्वेताम्बर जैन मन्दिर मानाय को मानने वाले सज्जन हैं। करीब ६४ वर्ष पहले भी सवाईरामजी ने रायपुर से भाकर जालना में अपनी दुकान की स्थापित की। आपका संवत् १९५५ में स्वर्गवास हुआ । आपके बाद इस दुकान के काम को भाप के तीनों पुत्रों ने सझोला जिनमें से इस समय केशरीमलजी विद्यमान है।
केशरीमलजी इस समय दुकान के मालिक है। आपकी ओर से दान धर्म तीर्थ यात्रा भादि सत्कार्यों में द्रव्य व्यय किया जाता है। आपके पुत्र उत्तमचन्दजी म्यापार में भाग लेते हैं। आपके यहाँ "सवाईराम गुलावचन्द" के नाम से कमीशन, तथा कृषि का काम होता है। उत्तमचंदजी के २ पुत्र हैं।
मालू - मालू गौत्र की उत्पत्ति - कहा जाता है कि रतनपुर के राजा रतनसिंह के दीवान माहेश्वरी वैश्य जाति के राठी गौत्रीय माल्हदेवजी नामक थे। इनके पुत्र को अर्धाग की बीमारी हो गई थी। अतएव दादा जिनदत्तसूरिजी ने अपनी प्रतिभा के बल पर माल्हदेवजी के पुत्र को स्वास्थ्य लाभ कराया। इससे मंत्री ने दादा जिनदत्तसूरिजी से जैन धर्म का प्रति बोध लिया, इनकी संतानें "माल" के नाम से मशहूर हुई।
सेठ गणेशदास केशरचंद मालू , सिवनी-छपारा (सी० पी०)
बीकानेर के समीप गजरूप देसर नामक स्थान से लगभग ७५ साल पूर्व इस परिवार के पूर्वज सेठ तिलोकचन्दजी माल सिवनी भाये तथा यहां सराफी व्यवहार चालू किया। आपका संवत् १९४९ में शरीरान्त । हुआ। आपके गणेशदासजी,केवलचन्दजी व रतनचन्दजी नामक ३ पुत्र हुए। इन भ्राताओं का कार वार संवत् १९५० के लगभग अलग २ होगया। सेठ गणेशचन्दजी मालू का जन्म संवत् १९१४ में हुआ। मापके केशरीचंदजी, माणिकचन्दजी, सुगनचन्दजी तथा दुलीचन्दजी नामक ४ पुत्र हुए । मालू गणेशचन्दजी तथा उनके पुत्र केशरीचन्दजी और माणिकचन्दजी के हाथों से इस फर्म के व्यापार को उन्नति मिली। मालू केसरीचन्दजी का जन्म संवत् १९३० में हुआ । आप धार्मिक वृत्ति के पुरुष ये । सुगनचन्दजी माल का शरीरान्त संवत् १९८० में हुआ।