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दस्साणी
सेठ अबीर चन्दजी के बीजराजजी तथा चांदमलजी नामक दो पुत्र हुए । आप लोग भी व्यापार कुशल सज्जन थे । आपका स्वर्गवास क्रमशः संवत् १९५३ व १९७५ में हुआ। सेठ चांदमलजी के दीपचन्दजी नामक एक पुत्र हुए। आप बाल्यावस्था में ही स्वर्गवासी हुए। आपकी धर्मपत्नी श्री इन्द्रकुँवर
ने जैन स्थानकवासी सम्प्रदाय में सं० १९६७ में दीक्षा ग्रहण की।
सेठ चांदमलजी के कोई पुत्र न होने से आपने अपने भाई सुनीलालजी के पुत्र नथमलजी को दत्तक लिया । आप नवयुवक विचारों के पढ़े लिखे सज्जन हैं । आप बड़े सरल स्वभाव वाले तथा मिलनसार हैं। आपके भँवरलालजी नामक एक पुत्र है।
आपकी फर्म पर आठनूर ( बदनूर - वेतूल) में वींजराज चांदमल के नाम से जमींदारी, हुंडी चिट्ठी, बेकिंग, सोना चांदी का तथा कलकत्ते में चांदमल नथमल के नाम से ५९ सूता पट्टी में विकागती धोती का व्यापार होता है।
दराजजी का परिवार
सेठ फूंदराजजी के शुभकरनजी, ( कोड़ामलजी ) जोरावरमलजी और मदनचन्दजी नामक तीन पुत्र हुये । सेठ मदनचन्दजी के हीरालाळजी, माणकचन्दजी, हरकचन्दजी, सुगमचन्दजी, मूलचन्दजी, केवलचन्दजी तथा सर्वसुखजी नामक सात पुत्र हुए। सेठ केवलचन्दजी का परिवार गरोठ ( इन्दौर स्टेट ) मैं तथा अन्य सभी भाइयों का परिवार बीकानेर में ही निवास करता है ।
सेठ कोड़ामलजी का परिवार रायपुर ( सी० पी० ) में है । सेठ जोरावरमलजी ने मदनचन्दजी के दूसरे पुत्र माणकचन्दजी को दत्तक लिया । आपके नथमलजी, वागमलजी और मेघराजजी नामक पुत्र हैं। इनमें बागमलजी का स्वर्गवास होगया है । आपके पुत्र दुलीचन्दजी नथमलजी के यहाँ गोद गये
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मेघराजजी के जोगीलालजी तथा डूंगरमलजी नामक पुत्र हैं।
सेठ हरकचन्दजी के मुनीलालजी व भेरोंदानजी नामक दो पुत्र हुए। इनमें से प्रथम दचक चले गये । आपके रतनलालजी नामक पुत्र हैं। भेरोंदानजी के जेठमलजी, पूनमचन्दजी, भँवराजी एवं सम्पतलालजी नामक पुत्र हैं। सेठ सुगनचन्दजी के परिवार में इस समय कोई नहीं है। सेठ मूलचन्दजी के बुलाखीचन्दजी नामक पुत्र हैं । आप धार्मिक प्रकृति के पुरुष हैं। आप अपने कल्कले के व्यवसाय को वयोवृद्ध होने के कारण समेट कर बीकानेर में शांति लाभ कर रहे हैं। आपके सोहनलाल जी नामक एक पुत्र हुए जिनका स्वर्गवास हो गया है।