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कोचर
साध्वियों के ठहराने के लिये
फलौदी में एक २००००) बीस हजार रुपये में मकान खरीद कर जैन साधु सुपुर्द कर दिया है। सेठ सूरजमलजी समझदार तथा धार्मिक व्यक्ति हैं। आपके पुत्र पुनमचन्दजी का जन्म संवत् १९५७ तथा प्रतापचन्दजी का जन्म संवत् १९६९ में हुआ। इनमें प्रतापचन्दजी का स्वर्गवास अभी थोड़े महीने पूर्व हुआ है । आप बड़े होनहार थे। पूनमचन्दजी योग्य हैं तथा अपने कारवार को भली प्रकार चलाते हैं ।
सेठ माणकलाल श्रमरचंद कोचर का खानदान, फलौदी
कोचरजी के पुत्र जीमाजी के वंशज "जीयाजी" कोचर कहलाते हैं । जीयाजी के पश्चात् क्रमशः मेघराजजी, पचानदासजी, मेहकरणदासजी तथा दौलतरामजी हुए ।
कोचर दौलतरामजी के पुत्र कुशलचन्दजी और जोरावरमलजी ये इनमें कुशलचन्दजी के पुत्र प्रतापचन्दजी तथा जोरावरमलजी के पुत्र भोलारामजी हुए। कोचर प्रतापचन्दजी के मोतीलालजी विशनचन्दजी तथा रतनलालजी और भोलारामजी के माणकलालजी नामक पुत्र हुए ।
कोचर भोलारामजी - आपने अपने भतीजे मोतीलालजी के साथ मुल्तान (सिंध) फलौदी, अहमदपुर (सिंघ ) तथा हैदराबाद ( दक्षिण ) में अपनी दुकानें खोलीं, उस समय इन दुकानों पर जोरों का धंधा चलता था । इन दोनों सज्जनों का कारबार संवत् १९१६ के लगभग अलग २ होगया आपने राणीसर तालाब एक नेस्टा ( अधिक पानी खाली करने का रास्ता ) बंधवाया ।
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कोचर मोतीलालजी - आपका जन्म संवत् १९५७ में हुआ । आपने जसवन्तसराय उर्फ मोतीसराय नामक एक सराय फलोदी में बनवाई। १९५४ में बम्बई में दुकान खोली । संवत् १९७३ में इनका शरीरान्त हुआ। इस समय आपके पुत्र मिश्रीलालजी व लक्ष्मीलालजी विद्यमान हैं। लक्ष्मीलालजी के पुत्र बक्तावरमलजी हैं।
कोचर माणकलालजी—आपका जन्म संवत् १९३८ में हुआ। संवत् १९६१ में हैदराबाद (दक्षिण) में दुकान स्थापित की । आपके समय में भावलपुर, मुकतान, पाळी हैदराबाद और फौदी में कारवार होता था । संवत् १९६२ में आप श्री शांतिनाथजी तथा चिंतामणिजी के मन्दिर के व्यवस्थापक ( खजांची ) बनाये गये । यह कार्य्यं भार आज तक आपके पुत्र, अमरचन्दजी सम्हाल रहे हैं । इन संस्थाओं का का आपने अच्छी तरह से किया। आपके द्वरा खोली गई कन्या पाठशाल १३ । १४ साक तक काम करती रही। आपका स्वर्गवास संवत् १९७६ में हुआ
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