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ओसवाल जाति का इतिहास
सेठिया जैन स्कूल, (२) सेठिया जैन श्राविका पाठशाला (1) सेठिया जैन संस्कृत प्राकृत विद्यालय (४) सेठिया जैन बोडिंग हाउस (५) सेठिया जैन शास्त्र भंडार (६) सेठिया जैन विद्यालय (७) सेठिया जैन भाविकश्रम (6) सेठिया जैन प्रिंटिंग प्रेस आदि । उपरोक्त संस्थाओं के खर्च की व्यवस्था के लिये आपने कलकत्ते के चीना बाजार के मकान नं. १६.। १६१ की दुकानें, क्रास स्ट्रीट के नं. ३, ५, ७, ९, १९के मकान तथा मोहनदास स्ट्रीट के १२३, १२५ नम्बर के मकान की भी रजिस्ट्री करवा दी है। इसके अतिरिक्त आपके भाई और आपकी ओर से बीकानेर में संस्थाओं के लिये २ मकान दिये गये हैं जिनमें संस्थाओं का कार्य संचालन होरहा हैं। इन सब संस्थाओं का सारा कार्य आप ही देखते हैं।
आप अखिल भारत वर्षीय श्री जैन श्वेताम्बर स्थानकवासी कान्फ्रेंस के सभापति रहे थे । इस स आप म्युनिसिपल मेम्बर, साधु मार्गीय जैन हितकारिणी सभा के प्रेसिडेण्ट और स्थानकवासी जैन ट्रेनिग कालेज के सभापति हैं। आपके इस समय पांच पुत्र हैं जिनके नाम क्रमशः जेठमलजी, पानमलजी, जुगराजजी और ज्ञानपालजी हैं आपने अपने सब पुत्रों को अलग २ कर दिया है।
कुँवर जेठमलजी-आप बड़े मिलनसार और सज्जन व्यक्ति हैं। आपका ध्यान भी परोपकार की ओर विशेष रहता है। आप उपरोक्त संस्थाओं के ट्रस्टी हैं। आपने भी अपने हिस्से से ३० हजार रुपये नकद और कलकत्ता के कैनिंग स्ट्रीट वाले मकान नं० 111 और ११५ और जंकशनलेन का मकान मं० ६ संस्थाओं को दान स्वरूप प्रदान किये हैं। जिनका व्याज एवम् किराये की करीव २० हजार रुपया सालाना आय संस्थाओं को मिलती है।
सेठ साहब के शेष पुत्रों में से प्रथम दो व्यवसाय करते हैं और छोटे दो विद्याध्ययन करते हैं। श्रीलहरचंदजीने भी एक प्रिंटिंग प्रेस संस्थाओं को दान में प्रदान किया है। आप सब भाइयों का अलग अलग रूप से भिन्न भिन्न प्रकार का व्यवसाय होता है । आपकी फर्म बीकानेर में अच्छी प्रतिष्ठित मानी जाती है।
सेठ खुशालचंदजी सेठिया का परिवार ,सरदारशहर इस परिवार के लोग संवत् १८९६ में सरदारशहर में आकर बसे । इसके पूर्व पुरुष सेठ खुशालचन्दजी के कालरामजी, टोडरमलजी, दुरंगदासजी, श्रीचन्दजी और आईदानजी नामक पांच पुत्र हुए। इनमें कालूरामजी, श्रीचन्दजी व आईदानजी नामक तीनों भाइयों ने संवत् १८७८ में पैदल रास्ते से सफर करके रंगपूर, कूच बिहार भादि स्थानों पर अपनी दुकानें खोली और कपड़े का व्यापार करने लगे। इसके पश्चात् आपने अमृतसर, बक्षीहाट, भडंगामारी, बलरामपुर, चोलाखाना बक्षाद्वार आदि स्थानों पर भी अपनी फर्मे स्थापित कर व्यापार में अद्भुत सफलता प्राप्त की। संवत् १९५० तक आप तीनों भाइयों का स्वर्गवास होगया और उसी साल आईदानजी के पुत्र मंगलचन्दजी इस फर्म से भलग होगये।
सेठ कालूरामजी का परिवार-सेठ कालूरामजी के तीन पुत्र हुए। जिनके नाम क्रमशः सेठ भीखणचंदजी, सेठ नथमलजी और सेठ नारायणचन्दजी हैं। इनमें से सेठ नथमलजी अपने चाचा सेठ श्रीचन्दजी के पुत्र न होने के कारण वहां दत्तक चले गये। शेष दोनों भाई भी अलग २ होगये एवम्