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चोरडिया
पीरचन्दजी चौधरी के ५ पुत्र हैं जिनके नाम क्रमशः बंसीलालजी, मोहनलालजी, रतनलालजी हस्तीमलजी तथा माणकलालजी हैं। इन भाइयों में बंशीलालजी ने एफ. ए. तथा रतनलालजी और हस्तीमलजी ने मेट्रिक तक शिक्षा पाई है। बंशीलालजी, हरीनगर यूगर मिल विहार में असिस्टेंट मैनेजर हैं । इस परिवार के यहां इच्छापुर तथा पुरहानपुर में कृषि जमीदारी तथा केनदेन का काम काज होता है।
सेठ लखमीचन्द चौथमल चोरड़िया, गंगाशहर इस परिवार के पूर्व पुरुष जैतपुर के निवासी थे। वहां से सेठ पदमचन्दजी के पुत्र मायाचंद जी और हरिसिंहजी यहां गंगाशहर भाये । मायाचन्दजी का परिवार अलग रहता है । यह परिवार हरिसिंहजी का है। सेठ हरिसिंहजी के छोगमबजी एवम् दानमलजी नामक पुत्र हुए। सेठ दानमलजी इस समय विद्यमान हैं। आपके गंगारामजी और बनेचन्दजी मामक दो पुत्र हुए हैं।
सेठ छोगमलजी का जन्म संवत् १९.५का है। आपने अपने जीवन में साधारण रोजगार किया । भापका स्वर्गवास संवत् १९४२ में होगया। भापके खुवचन्दजी, लखमीचन्दजी, शेरमलजी, चौथमलजी और रावतमलजी नामक पांच पुत्र हुए। इनमें से प्रथम तीन स्वर्गवासी होचुके हैं। भाप सब भाइयों ने मिलकर सोलंगा (बंगाल) में अपनी फर्म स्थापित की। इसमें भापको अच्छी सफलता मिली। अतएव उत्साहित होकर भाप लोगों ने सिरसागंज में भी आपनी एक प्रांच खोली। इसके बाद आपकी एक फर्म कलकत्ता में भी हुई । कलकत्ता का पता १६ स्ट्रॉड रोड है।
वर्तमान में इस फर्म के संचालक सेठ चौथमलजी. रावतमलजी खवचन्दजी के पुत्र सोहनलाळजी और शेरमलजी के पुत्र आसकरनजी है। भाप लोग योग्यता पूर्वक फर्म का संचालन कर रहे हैं। चौथमलजी के हाथों से फर्म की बहुत उन्नत हुई।
सेठ रामलाल रावतमल चोरड़िया, बरोरा (सी० पी०)
यह परिवार रूपनगर (किशनगढ़-स्टेट) का निवासी है। देश से सेठ भोमसिंहजी के पुत्र रामलालजी तथा रावतमलजी लगभग ८० साल पहिले बरोरा आये तथा बुद्धिमत्ता पूर्वक व्यापार करके लगभग १० लाख रुपयों की सम्पत्ति इन बन्धुओं ने कमाई । व्यापार की उन्नति के साथ मापने धार्मिक कामों की ओर भी काफी लक्ष दिया। आपने बरोरा के जैन मन्दिर व विहलमन्दिर के बनवाने में सहायताएँ दी, तथा परिश्रम उठाया। सरकार में भी दोनों भाइयों का अच्छा सम्मान था। सेठ रामलालजी का संवत् १९६५ में स्वर्गवास हो गया। आपके बाद सेठ रावतमलजी ने तमाम काम सम्हाका । सेठ रावतमक श्री सन् १९११ में बरोरा के ऑननेरी मजिस्ट्रेट थे। सन् १९२१ में आपको भारत सरकार "रायसाहिब" की पदवी से सम्मानित किया था। संवत् १९८२ में आपका स्वर्गवास हुआ।
सेठ रामलालजी के पुत्र सुखलालजी तथा माँगू लालजी हुए. इनमें माँगूलालजी, सेठ रावतमल जी के नाम पर दत्तक गये। इनका संवत् १९८५ में स्वर्गवास हुभा। इनके मदनलालजी, भीकमचन्दजी, माणकचन्दजी और मोहनलालजी नामक पुत्र हैं। आपके यहाँ रावतमल मांगूलाल के नाम से व्यापार