________________
श्रोसवाल जाति का इतिहास
देश सेवा, जाति सेवा एवम् समाज सुधार को भर रहा है । आप आगरे के एक गण्यमान्य नेता हैं। इस समय आप अखिल भारतवर्षीय स्थानकवासी भोसवाल नवयुवक कांफ्रेन्स के प्रेसिडेण्ट हैं ।
सेठ बुधमल कालूराम बोहरा, ( रतनपुरा) लोणार
वह परिवार बहू का निवासी है। लगभग १०० साल पहिले । सेठ सलजी बोहरा के पुत्र बुध मलजी, हमीरमलजी तथा गम्भीरमलजी लोणार आये तथा लेन देन का व्यवसाय आरम्भ किया । सेठ बुधमलजी ने अच्छा नाम व सम्मान पाया । संवत् १९५३ में आप स्वर्गवासी हुए । स्थानीय मन्दिर की नीव डालने वाले ४ व्यक्तियों में से एक आप भी थे । आपके कालुरामजी, बिरदीचंदजी, खुशालचन्दजी तथा गुलाबचंदजी नामक ४ पुत्र हुए, जिनमें खुशालचन्दजी मौजूद हैं।
बोहरा कालूरामजी ने आसपास की पंच पंचायती में बहुत इज्जत पाई। संवत् १९७९ में बडू ठाकुर साहब लोनार आये तब आपको “सेठ" की पदवी दी । संवत् १९८३ में आप स्वर्गवासी हुए । बोहरा गम्भीरमलजी के पुत्र देवकरणजी और पौत्र तेजभालजी हुए, इन्होंने भी अपने समाज में अच्छी प्रतिष्ठा पाई । तेजमलजी संवत् १९७९ में स्वर्गवासी हुए। आपकी दुकान यहाँ के व्यापारियों में प्रतिष्ठित मानी जाती है।
वर्तमान में इस परिवार में सेठ खुशालचन्दजी और उनके पुत्र हेमराजजी, गेंदूलालजी, पन्नाroat तथा बरदीचंदजी के पुत्र वंशीलालजी, कन्हैयालालजी एवम् तेजमलजी के पुत्र कतरूमलजी विद्यमान हैं। इनमें हेमराजजी, कालुरामजी के नाम पर और कन्हैयालालजी, गुलाबचन्दजी के नाम पर दत्तक गये हैं। सेठ खुशालचन्दजी आसपास के ओसवाल समाज में प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं । यह परिवार बरदीचन्द खुशालचन्द और तेजभाल कतरूलाल बोहरा के नाम से सराफी, साहुकारी, कृषि तथा कपास का व्यापार करता है । इसी तरह इस परिवार में हमीरमलजी के पौत्र नंदलालजी हीरडव में कारबार करते हैं ।
सेठ पेमराज गणपतराज बोहरा, बिल्लीपुरम् (मद्रास)
इस कुटुम्ब का मूल निवास मारवाड़ में जेतारण के पास पीपलिया नामक ग्राम का है । इस परिवार के पूर्वज सेठ उदयचन्दजी के पश्चात् क्रमशः खूबचन्दजी, बच्छराजजी और साहवचन्दजी हुए । साहबचन्दजी इस परिवार में नामी व्यक्ति हुए । जेतारण के आसपास इनका लाखों रुपयों का लेन देन था। संवत् १९३९ में इनका ४१ साल की उमर में स्वर्गवास हुआ । आप बड़े स्वाभिमानी व प्रतिष्ठित पुरुष थे। आपके पुत्र मगराजजी का जन्म १९२२ में तथा केसरीचन्दजी का १९२५ में हुआ। तथा शरीरान्त क्रमशः संवत् १९७४ तथा १९७३ में हुआ । केसरीमलजी के पेमराजजी तथा हीरालालजी नामक २ पुत्र हुए, जिनमें पेमराजजी, मगराजजी के नाम पर दत्तक आये । हीरालालजी १९६६ में स्वर्गवासी हो गये ।
बोहरा पेमराजजी मद्रास होते हुए संवत् १९७३ में विल्लीपुरम् आये और व्याज का काम शुरू किया । आपके हाथों से ही व्यापार को तरक्की मिली । आप सुधरे हुए विचारों के धर्मप्रेमी सज्जन हैं ।
५०८