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मोसवाल जाति का इतिहास
जी के पुत्र भंवरमलजी, अखेराजजी, मानमलजी तथा कंवरलालजी और चम्पालालजी के पुत्र कंवरलाबजी और मदनचंदजी हैं।
गोलेका
गोलेडा गौत्र की उत्पत्ति
कहा जाता है कि चंदेरी नगर में खरहत्थसिंह नामक राठोद राजा राज करता था। एक बार मुसलमानों की फौज ने इनके पुत्रों को घायल कर दिया। उस समय दादा जिनदत्तसूरिजी ने उन्हें जीवन दान दिया । इस प्रकार संवत् ११९२ में राजा ने जैन धर्म अंगीकार किया। इनके दूसरे पुत्र भेसाशाह बड़े प्रतापी व्यक्ति हुए । भेसाशाह के पुत्र गेलोजी तथा उनके पुत्र बच्छराजजी थे । बच्छराजजी को लोग गेल. बच्छा (यानी गेलाजी के बच्छराज) नाम से पुकारते थे । यह अपभ्रंश गोलेछा में परिवर्तित हो गया। और इस प्रकार बच्छराजजी की संताने गोलेछा नाम से सम्बोधित हुई।
गोलेका नथमलजी का खानदान, जयपुर यह परिवार विचंद का निवासी है। वहाँ से सेठ छगनलालजी गोलेछा व्यापार के लिये जयपुर आये । इनके पुत्र गोलेछा भेरूमलजी जयपुर स्टेट के ३० सालों तक खजांची रहे। संवत् १९३५ में आपका स्वर्गवास हुआ। आपके पुत्र नथमझजी तथा जुहारमलजी हुए।
गोलेछा नथमलजी-आपका जन्म संवत् १९०४ में हुआ। संवत् १९३५ में आप स्टेट ट्रेशरर बनाये गये । २ साल बाद यह कार्य इनके छोटे भ्राता के जिम्मे हुआ। और गोलेछा नथमलजी को जय. पुर स्टेट के दीवान का पद प्राप्त हुआ। संवत् १९५८ तक गोलेछा नथमलजी ने इस सम्माननीय पद पर कार्य किया । आप पर महाराजा सवाई रामसिंहजी तथा माधोसिंहजी की पूरी महरबानी थी। भोसवाल जाति के आप नामांकित व्यक्ति थे। आपका स्वर्गवास संवत् १९६० की चैत वदी ९ को हुभा । भापके छोटे भाई जुहारमलजी १९५० में गुजर गये । उनके बाद उनके पुत्र सागरमलजी संवत् १९७८ तक स्टेट ट्रेशरर रहे।