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गालेछा प्रतापचन्दजी के पुत्र सम्पतकालजी तथा मूलचन्दजी एवम् धनराजजी के पुत्र रतनचन्दजी एवं लालचन्दजी हैं । सम्पतलालजी का जन्म १९५० में रतनचन्दजी का जन्म संवत १९५९ में तथा मूलचन्दजी और लालचन्दजी का जन्म संवत् १९६४ में हुमा । आप सब भ्राता फर्म के म्यवसाय संचालन में सहयोग देते हैं । आपत्र कुटुम्ब मंदिर मार्गीय आम्नाय को मानने वाला है।
____ गोलेछा रतनचन्दजी मुभील, शांतिप्रिय एवं उन्नतिशील नवयुवक हैं, आपकी वतृत्व शकि अच्छी है । समाज संगठन की भावनाएं आपके हृदय में जागृत हैं। जातीय सम्मेलनों में आप अक्सर सहयोग लेते रहते हैं।
___ गोलेला बाधमलजी का खानदान, खिचंद __ जोधपुर स्टेट के सेतरावा नामक स्थान से २५० वर्ष पूर्व आकर गोलेछा फतेचन्दजी ने अपना निवास खिचंद में बनाया। इनके दलीचन्दजी, मानरूपजी, सुखमब्जी, रासोजी तथा रायचंदजी नामक ५ पुत्र हुए। इन पांचों भाइयों के लगभग ८० घर इस समय खिचंद में निवास करते हैं।
गोला फतेचन्दजी के पश्चात् मशः दलीचन्दजी, मूलचंदजी और नेतसीजी हुए । नेतसीजी के अयकरणदासजी तथा नवलचंदजी नामक २ पुत्र थे। नवलचंदजी का पंच पंचायती में अच्छा मान था । इनका ४ साल की भायु में संवत् १९४८ में स्वर्गवासहुभा। गोलेछा जयकरणासजी के जालमचंदजी, सागरचंदजी, रूपचंदजी तथा बाघमलजी नामक ४ पुत्र हुए। इन बंधुओं ने लगभग संवत् १९०० में हैदराबाद में दुकान खोली, और उसके २० साल पश्चात् मद्रास में व्यापार शुरू किया गया। इन भाइयों में गोलेछा बावमलजी ज्यादा प्रतापी हुए ।
गोलेछा बाघमबजी--आपका जन्म संवत् १८९७ में हुआ। आप बाल्यावस्था से ही अपने बड़े भ्राता जालमचन्दजी के साथ हैदराबाद गये। धीरे २ आपका वृटिश पल्टन के साथ लेनदेन शुरू हुआ। और आप फोज के साथ विजगापट्टम गये। आपने इस दुकान की इतनी उन्नति की, कि आस पास “ वाघमल साहुकार " का नाम मशहूर हो गया। कई अंग्रेजों ने आपको सााटफिकेट दिये थे। सं० १९५०-५१ के अकाल में आपने वहाँ गरीबों को काफी इमदाद पहुंचाई थी । इससे प्रसन्न होकर सन् १८९७ में महाराणी विक्टोरिया ने आपको सनद दी। आपकी जवाहरात में भी अच्छी निगाह थी जिससे राजा महाराजाओं व अंग्रेजों से आपका काफी व्यापारिक सम्बन्ध था। आपको गुप्त दान को शोक था। संवत् १९५४ में आप खिचंद आगये। यहाँ १९५६ में अकाल के समय लोगों को इमदाद दी। महाराजकुमार उम्मेदसिंहजी तथा कर्नल विंडहम ने निचंद आकर आपकी मेहमानदारी मंजूर की । भापका स्वर्गवास संवत् १९.७ में हो गया ।