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स मस्ती कोचर नरसिंहगढ़ व्यापार के लिये आये । सं० १९०५ में रावतमलजी के पुत्र शिवजीरामजी
भी यहाँ आये । रावतमलजी के सबसे छोटे पुत्र अमोलकचन्दजी थे। इनके पुत्र छोगमलजी का जन्म १९२५ में हुआ। आपके यहाँ मालगुजारी तथा दुकानदारी का काम होता है। इनके पुत्र सुगनराजजी तथा गोकुलचन्दनी हैं। इनमें गोकुलचन्दजी अपने काका तखतमलजी के नाम पर दत्तक गये हैं। माणिकलालजी कोचर बी. ए. एल. एल.बी.-आपके पितामह को
तथा पिता माहरमलजी नरसिंहगढ़ में व्यापार करते थे। नाहरमलजी का स्वर्गवास सं० १९८३ में हुआ। आपके करणीदानजी, पेमराजजी, माणिकलालजी तथा हेमराजजी नामक ४ पुत्र हुए । इनमें कोचर माणिकलालजी का जम्म सं० १९३८ में हुभा । सन् १९०३ में आपने बी० ए० पास की। इसके पश्चात् आप जबलपुर, मरसिंहपुर और होशंगाबाद के हाई स्कूलों में अध्यापक रहे। सन् १९०९ में आपने एल०एल० बी० की जिगरी सिल की। तथा तबसे आप नरसिंहगढ़ में वकालात करते हैं।
कोचर माणकलालजी सी० पी० के प्रतिष्ठित सज्जन हैं। आप ओसवाल सम्मेलन मालेगांव, मंगमेंस भोसवाल एसोसिएसन जोधपुर तथा सी० पी० प्रान्तीय ओसवाल सम्मेलन यवतमाल के सभापति रहे थे । १९२०-२१ के असहयोग मान्दोलन के समय मापने अपनी प्रेक्टिस से इस्तीफा दे दिया था। भार प्रेस सेक्रेटरी तथा म्युनिसिपल प्रेसिडेंट रह चुके हैं। वर्तमान में आप डिस्ट्रिक्ट कौंसिल के मेम्बर लोकल कोआपरेटिव बैंक के प्रेसिडेण्ट, पी० डबल्यू. डी० स्कूल बोर्ड के प्रेसिडेण्ट, सी०पी० बरार प्राविशियल बैंक नागपुर के डायरेक्टर, और उसके मेनेजिंग बोर्ड के मेम्बर हैं। इसी तरह आप नर्दन इन्सटिव्यूट के भी चेयरमैन रहे हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि भाप सी० पी० के नामांकित सजन है । आपके पुत्र विजय. सिंहजी १६ साल के हैं। तथा नरसिंहपुर हाई स्कूल में पढ़ते हैं ।
सेठ मूलचन्द घीसूलाल कोचर का खानदान, बेलगांव (महाराष्ट्र)
यह परिवार मूल निवासी सोजत का है। वहाँ से सेठ मगनीरामजी के पुत्र मूलचन्दजी, हेम. राजजी तथा मुलतानचन्द्रजी सवत् १९३०॥३२ में बेलगाँव आये । तथा मूलचन्द हेमराज के नाम से व्यापार भारम्भ किया। इन तीनों भाइयों ने इस दुकान के व्यापार तथा सम्मान को बढ़ाया । संवत् १९५० में सेठ हेमराजजी का तथा संवत् १९५२ में शेष दोनों भाइयों का कारवार अलगभला हो गया।
सेठ मूलचन्दजी का परिवार-कोचर मेहता मूलचन्दजी दुकान की उन्नति में भाग लेते हुए संवत् १९५९ में स्वर्गवासी हुए। इस समय दुकान के मालिक आपके पुत्र घीसूकाळजी हैं। घीसूलालजी
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