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सिंघवी अनराजजी का शिक्षण केम्ब्रिज सीनियर तक हुमा। अंग्रेजी का भापको अच्छा अभ्यास है। आपने १२ साल पहले सोजत में श्री महाबीर वाचनालय की स्थापना की । मापने सर प्रताप हाई स्कूल जोधपुर में शिक्षक तथा जैन श्वेताम्बर विद्यालय में प्रधानाध्यापकी का काम किया। १९३३ में आप मारवाड़ी विद्यालय बम्बई के मंत्री रहे थे। आप शिक्षा प्रेमी तथा उन्नत विचारों के सज्जन हैं। इस कुटुम्ब का इस समय बम्बई बम्बादेवी में अनराज सम्पतराज के नाम से आदत का तथा गुलबर्गा में कालूराम जीवराज, आदि भिन्न २ नामों से कपड़े का व्यापार होता है।
. . सिंघवी दीपराजजी, सोजत ऊपर के परिचय में बतलाया गया है कि सिंघवो मोतीरामजी के छोटे भ्राता सिंघवी माणकचंदजी थे। इसके बाद क्रमशः छोगमलजी और कस्तू रमलजी हुए। सिंघवी कस्तूरमलजी के फूलचंदजी, हमीर मलजी तथा गंभीरमलजी नामक ३ पुत्र हुए। इन बंधुओं में से सिंघवी फूलचन्दजी ने मारवाड़ स्टेट में सापर दरोगाई का काम बड़ी मुस्तेदी से किया । आपकी होशियारी से प्रसन्न होकर सिरोही दरबार ने अपनी स्टेट में सायरात का प्रबन्ध करने के लिये जोधपुर स्टेट से आपको मांगा। सिरोही में कस्टम का इन्होंने अच्छा इंतजाम किया । इसके लिये सिरोही दरबार ने इन्हें सार्टिफिकेट प्रदान किया । संवत् १९५५ की फाल्गुन सुदी ११ को नागोर में इनका शरीरान्त हुआ।
___ फूलचंदजी के कार्यों से प्रसन्न होकर इनके छोटे भाई हमीरमलजी को भी सिरोही स्टेट ने अपने पहाँ स्थान दिया। आपके पुत्र सिंघवी दीपराजजी इस समय सिरोही स्टेट के आबू रोड नामक स्थान पर नायब तहसीलदार हैं। आपके पुत्र देवराजजी तथा जसवंतराजजी हैं। सिंघवी देवराजजी, Mutual
Rajputana & Co. Limited Beawar के मेनेजिंग एजंट हैं और इंटर में पढ़ते है। इनके पुत्र रत्नसिंह हैं।
सिंघवी सुकनमलजी (गादमलोत ) जोधपुर सिंघवी सोनपालजी के पौत्र चापसीजी से भीवराजोत, धनराजोत, गदमलोत आदि शाखाए निकली। गढ़मलोत परिवार के कई व्यक्तियों ने राज्य के काम और हुकूमतें की। इनके अच्छे कामों के एवज में जोधपुर दरबारने इन्हें डीडवाना तथा परबतसर परगने में जागीर प्रदान की, जो अभी तक सिंघवी सकनमलजी के परिवार के ताबे में है।
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