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का जन्म संवत् १९३९ में हुआ। आप आज भी उदयपुर में सम्मानित किये जाते हैं। आपके माता जसवन्तसिंहजी का संवत् १९४६ में जन्म हुआ। आप बहुत समय तक उदयपुर के महाराणा फतेसिंहजी के पेशी क्लार्क रहे। वर्तमान में आप विद्यमान हैं। आपको उदयपुर दरबार की ओर से कई बार रुपये इनायत किये गये हैं। सुराणा जीवनसिंहजी का संवत् १९६१ में जन्म हुआ। आप बडे उत्साही तण मैट्रिक तक पढ़े हुए सज्जन हैं। वर्तमान में आप इन्दौर-स्टेट के काटन कंट्राक्ट आफिस में काम कर रहे हैं। आप सब भाई बड़े मिलनसार और सब्जन व्यक्ति हैं।
सुराना नरासिंहंदासजी का खानदान, झालरापाटन इस खानदान का मूल निवास स्थान नागोर का है। आप श्वेतम्बर जैन स्थानकवासी मानाय के मानने वाले सज्जन हैं।
__ सेठ कनीरामजी सुराना-सेठ उत्तमचन्दजी के पुत्र सेठ कनीरामजी इस खानदान में बड़े प्रसिद्ध और प्रतिभाशाली व्यक्ति हुए। आप नागोर से कोटा आये और वहाँ के दीवान मदनसिंहजी मान के पास प्रधान कामदार हो गये। जब संवत् १८९० में कोटा से झालावाड़ रियासत अलग हुई, उस समय मदनसिंहजी के साथ आप भी झालावाड़ आगये। झालावाद का राज्य स्थापित करने में आपका बड़ा हाथ था। आप बड़े बुद्धिमान और राजनीति निपुण पुरुष थे। आपके कामों से प्रसन्न हो कर महाराज राणा मदनसिंहजी मे आपको रूपपुरा नामक गाँव जागीर में बख्शा और मियाने की इजत बल्ली। तथा जीकारा और “नगर" सेठ का खिताब प्रदान किया। उसके बाद सम्बत् १९१५ के बैशाख सुदी १० को महाराज राणा परीसिंहजी ने १५००१) की आमदनी के आमेठा वगैरह गाँव जागीर में बख्शे। आपका स्वर्गवास संवत् १९२० के कार्तिक बदो ६ को हुआ। .
___सेठ कनीरामजी के नाम पर सेठ गंगाप्रसादजी दत्तक आये। आपको महाराज राणा परथीसिंहजी ने दो हजार की जागीरी बख्शी। तथा फौज की बख्शीगिरी का काम सिपुर्द किया। आपका स्वर्गवास सं. १९२३ में हुआ।
सेठ नरसिंहदासजी सुरणा-सेठ गङ्गाप्रसादजी के स्वर्गवास के समय आपके पुत्र सेठ मरसिंहजी की उम्र केवल चार वर्ष की थी। उस समय जागीर आपके नाम पर कर दी गई ओर बख्शीगिरी का काम भी आपके नाम पर हुआ जिसका संचालन आपके बालिग होने तक मायब लोग करते रहे । आप बड़े प्रतिमा. शाली और नामांकित व्यक्ति हैं। सन् १९१९ में महाराज राना भवानीसिंहजी मे पुनः आपको जीकारे का सम्मान बख्शा। उसके पश्चात् सन् १९२६ में उक्त महाराजा ने आपको पैरों में सोना वस्शा। उसके पश्चात् सन् १९३० में वर्तमान महाराज ने आपको ताजीम दी।