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दूगड़ करके आप रिडक्शन में आ गये। लाला ईश्वरदासजी ने एफ० एस० सी० तक शिक्षा प्राप्त कर सालिमार वर्क्स के नाम से एक फर्म स्थापित की है। वर्तमान में भाप ही उस के सब काम काज को संभालते हैं।
दीवान अनन्तरामजी के पुन्न लाला शिवशरणजी इस समय काश्मीर में डिवीजनल फारेस्ट अफसर हैं तथा छोटे पुत्र देवराजजी मेडिकल कालेज में पढ़ रहे हैं।
यह परिवार सारे पंजाब प्रांत में बड़ा प्रतिष्ठित माना जाता है।
सेठ सम्पतरामजी दूगड़ का परिवार, सरदारशहर इस परिवार के सज्जन तेरापन्थी श्वेताम्बर जैन सम्प्रदाय के मानने वाले हैं। इस परिवार के पूर्व पुरुष तोल्यासर (बीकानेर ) नामक स्थान के निवासी थे। मगर वहाँ से व्यापार के निमित्त सेठ फतेचन्दजी के पुत्र सेठ चैनरूपजी, सरदारशाह में आकर रहने लगे। तभी से आपके वंशज यहीं पर निवास करते हैं।
सेठ चैनरूपजी-इस परिवार में भाप बड़े प्रतिभा सम्पन्न और व्यापार चतुर महानुभाव हुए । मापने कलकत्ते में अपनी फर्म स्थापित कर उसके द्वारा लाखों रुपयों की सम्पत्ति उपार्जित की। जिस समय संवत् १९०५ में आप कलकत्ता गये उस समय आज कल की भांति सुगम मार्ग न था । अतएव बड़े कठिन परिश्रम एवम् अनेक दुःखों को उठाते हुए आप कलात्ता पहुंचे थे। आपकी प्रकृति बड़ी सीधी सादी एवम् मिलनसार थी। आपका स्वर्गवास संवत् १९५० के करीब हो गया। आपके सम्पतरामजी नामक एक पुत्र हुए।
सेठ सम्पतरामजी-अपका जम्म संवत् १९२३ में हुआ। बाल्यावस्था से ही आपकी रुचि धार्मिकता की ओर रही। आपभी अपने पिताजी की तरह सरल प्रकृति के सज्जन थे। आपके समय कलकत्ता फर्म पर विलायत से डायरेक्ट कपड़े का इम्पोर्ट व्यापार होता था । उस समय यह फर्म बहुत बड़ी मानी जाती थी। इस व्यवसाय में भी इस फर्म ने बहुत उन्नति की। मगर कुछ वर्षों के पश्चात् आपकी बृद्धावस्था होने के कारण आपने अपने इम्पोर्ट व्यवसाय को घटा दिया । व्यापार के अतिरिक्त आपने सामाजिक बातों की ओर भी बहुत ध्यान दिया। यहां की पंच पंचायती में आपका बहुत बड़ा सम्मान था। आप जबान के बड़े पाबंद थे । बीकानेर दरबार ने आपको छड़ी, चपरास, ताज़िम तथा हाथी वगैरह का सम्मान प्रदान किया था। इसके अतिरिक्त आपको कुर्सी का सम्मान, सोने का लंगर, बक्षा गया, तथा सोने के जेवर पैरों में पहनने का सम्मान आपके जनाने में भी प्रदान