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रतनपुरा-कटारिया
पर पधारे तथा एक गांव 'नीतीयास' हथलेवे (दहेज) में प्रदान किया। आपके कोई पुत्र न होने से आपके नाम पर मेहता गोपालदासजी दत्तक लिये गये ।
मेहता गोपालदासजी - आप महाराणा सरूपसिंहजी के समय में बढ़े विश्वासी एवम् प्रतिष्ठित राज-कर्मचारी रहे । संवत् १९०७ में महाराणा ने आपको कुछ नये गाँव आबाद करने के लिये भेजा। आप बड़े बुद्धिमान एवम व्यवहार चतुर पुरुष थे। अतएव कहना न होगा कि गाँव आबाद करने में आपको बहुत सफलता हुई। इससे प्रसन्न होकर महाराणा ने आपको सिरोपाव एवम् रेलमगरा डिस्ट्रिक्ट की हुकुमत बक्षी । संवत् १९१४ में महाराणा ने आपको 'जीकारा' बक्षा। इसी प्रकार आपकी सेवाओं से प्रसन्न होकर आपको पैर में सोने के संगर बसे । महाराणा समय २ पर आपकी हवेली पर पधारते रहे । संवत् १९४० में महाराणा सज्जनसिंहजी के समय में बोहड़े के रावत केसरीसिंहजी ने दरबार की आज्ञा का उलंघन किया । अतएव इस समय मेहता गोपालदासजी एवम् मेहता लक्ष्मीलालजी उन्हें गिरफ्तार करने के लिये भेजे गये। कुछ लड़ाई होने के पश्चात् मे स्लोग रावतजी को गिरफ्तार करकाये । इससे प्रसन्न होकर महाराणा ने आपको कंठी एवम् सिसेवा प्रदान किया । आपका स्वर्गवास संवत् १९४६ में हुआ। आपके भोपालसिंहजी नामक एक पुत्र हुए।
मेहता मोपालसिंहजी - आपका जन्म संवत् १९१४ में हुआ। आप बचपन से ही प्रतियाकाळी रहे। १८ वर्ष की अवस्था में आप राशमी जिले के हाकिम नियुक्त हुए थे। आपकी सेवाओं और बुद्धि का वर्णन हम, राजनैतिक महत्व, नामक अध्याय में कर चुके हैं। राशमी जिले से बदल कर आप मांडलगढ़ जिले में गये । वहाँ जाकर आपने वहाँ की आमदनी में बहुत तरक्की की। इससे प्रसन्न होकर महाराणा फतेहसिंहजी ने आपको 'बैठक' बक्षी । संवत् १९४६ में आप रेव्हेन्यू सेटलमेंट आफिसर मि० विडलफ़ की जगह नियुक्त किये गये । आपने उस काम को बहुत योग्यता के साथ संचालित किया और किसानों के साथ पूरी २ सहानुभूति रक्खी। संवत् १९५६ में काल पड़ने से किसानों में बहुत बकाया रहने की | उस समय उनकी आर्थिक दशा का पूरा खयाल रखते हुए उचित रूप से वसूली करवाई तथा लाखों रुपयों की छूट किसानों को दिलवाई। उस कहत साली का प्रबंध भी आपने बाउण्डरी सेटलमेंट आफिसर मि० - पीनी के साथ रहकर बहुत योग्यता पूर्वक किया । संवत् १९५७ में आप महद्राज सभा के मेम्बर नियुक्त हुए। संवत् १९६१ में आप महकमा खास के प्रधान नियुक्त हुए । इसी समय महाराणा ने आपको 'नीकाश' बक्षा । आपने रियासत में बजट तैयार करने का सिलसिला जारी किया और कई सालों के आंकड़े तैय्यार करवाये । संवत् १९६३ में महाराज कुमार भोपालसिंहजी के जन्म उत्सव पर आपको पैर में सोने के लंगर प्रदान किये गये । संवत् १९५३ में झील सक्षमी के अवसर पर महाराजा और महाराज
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