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श्रीसवाख जाति का इतिहास
हुए। मेहता दीपचन्दजी के लालचन्दजी, हरलालजी तथा शोभाचन्दजी नामक तीन पुत्र हुए। मेहता लालचंदजी ने भी जनानी क्योड़ी का काम किया ।
मेहता हरलालजी तथा शोभाचन्दजी का परिवार — मेहता हरलालजी के दौलत सिंहजी, मोतीसिंह जी, शेरसिंहजी तथा भकारसिंहजी नामक चार पुत्र हैं। मेहता शोभाचन्दजी के गणेशलालजी, मदनसिंह जी, वख्तावरसिंहजी तथा धनलालजी नामक चार पुत्र हैं। मदनसिंहजी, ने भी जनानी ड्योढ़ी का काम किया हैं । गणेशलालजी मेहता जुहारमलजी के यहां पर दत्तक चले गये हैं। आपके चुन्नीलाल जी तथा विजयसिंहजी नामक दो पुत्र हैं। इनमें से चुनीलालजी के भँवरलालजी नामक एक पुत्र हैं ।
ड्योढ़ावाले मेहता की उपशाखा, उदयपुर
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हम लोग ड्योढ़ी वाले मेहता के खानदान में मेहता मेघराजजी का वर्णन कर चुके हैं। मेहता मेघराजजी की चौथी पीढ़ी में मेहता अमरचन्दजी हुए। आपके जीवनदासजी, जयसिंहजी तथा विजयसिंहजी नामक तीन पुत्र हुए। इनमें से मेहता जीवनदासजी से बोदी वाले मेहता का खानदान चला तथा जयसिंहजी से ब्योढ़ी वाले मेहता की उपशाखा चली ।
मेहता अमरसिंहजी के पश्चात् क्रमशः धनरूपमलजी, गोकुलदासजी तथा रोड़जी हुए। मेहता रोड़जी के रूपजी, भोगीदासजी तथा श्रत्रभुजजी नामक तीन पुत्र हुए। इनमें भोगीदासजी के पुत्र मेहता मालदासजी बड़े नामांकित व्यक्ति हुए ।
मेहता मालदासजी - आप बड़े वीर, साहसी तथा योग्य सेनापति थे । आपने उदयपुर स्टेट की ओर से कई सेनाओं में भाग लेकर अपनी वीरता एवं रणकुशलता का परिचय दिया था। मेवाड़ पर जिस समय मरहठों ने आक्रमण किये थे, उस समय आपके सेनापतित्व में मेवाड़ की सेना ने जो युद्ध कौशल तथा साहस का प्रदर्शन किया था उसका वर्णन हम "राजनैतिक तथा सैनिक महत्व" नामक शीर्षक के उदयपुर विभाग में पूर्णरूप से कर चुके हैं।
मेहता रूपजी के लालजी तथा लालजी के हेमराजजी नामक पुत्र हुए। आप बड़े नामी व्यक्ति हो गए हैं। आपने जनानी ड्योढ़ी का काम बड़े अच्छे ढंग से किया जिससे प्रसन्न होकर महाराणा भीमसिंहजी ने आपको राजपुरा और साकरोदा गाँव के बदले भजण नामक गाँव इनायत किया । आपके पुत्र हेमराजजी के नाम पर मेहता चत्रभुजजी के प्रपौत्र मेणचन्दजी गोद लिये गये। मेहता नेणचन्दजी को महाराणा स्वरूपहिंजी बड़े आदर की दृष्टि से देखते थे। आपके वेणीलालजी तथा बेणीकालजी के पुत्र तख्तसिंहजी विद्यमान हैं । 196