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मोसवाल जाति का इतिहास
यदुपतसिंहजी नामक चार पुत्र हैं। इनमें राजपतसिंहजी बी० ए० की उच्च डिग्री से विभूषित हैं। श्रीपत सिंहजी ब्रिटिश इण्डिया ऐसोसिएशन, कलकत्ता क्लब आदि संस्थाओं के मेम्बर हैं। भापकी जमीदारी संथाल परगना, मुंगेर, भागलपुर, पुनिया, रंगपुर, दिनाजपुर आदि में है।
___ राय धनपतसिंहजी बहादुर-आप भी बड़े नामांकित पुरुष हो गये हैं। मापने जैन धर्म के मात्रकाशित बागम ग्रंथों को प्रचुर धन व्यय करके प्रकाशित करवा कर मुफ्त पँटवाया। इसके अतिरिक्त मापने अजीमगंज, बालूचर, नलहट्टी, भागलपुर, लक्खीसराय, गिरीडीह, बढ़ापुर, सम्मेद शिखर, लछवाद, कांकड़ी, राजगिरी, पावापुरीजी, गुमाया, चम्पापुरी, बनारस, बटेश्वर, नवराही, भावू, पालीताला, तकाजा, गिरनार, बम्बई तथा किशनगढ़ में मंदिर और धर्मशालाओं का निर्माण कराया। इन सब में विशेष उल्लेसनीय शत्रुजय तलहट्टी का मन्दिर है। इसी प्रकार आपने तीन चार संघ भी अपने समय में निकाले थे।
की सभी संस्थाओं में एवम सार्वजनिक चन्दों में भाप मुक्त हस्त में सहायताएँ प्रदान किया करते थे। आपकी इन सेवाओं के उपलक्ष में सन् १८६५ में गवर्नमेंट ने भापको 'राय बहादुरी का सम्मान प्रदान किया । आपके तीन पुत्र हुए जिनके नाम क्रम से राय गणपतसिंहजी बहादुर श्री नरपतसिंहजी एवम् तीसरे श्री महाराज बहादुरसिंहजी हैं। इन तीनों सज्जनों में से सन् १८८७ में आपने राय गणपतसिंहजी और नरपतसिंहजी को पृथक् किया।
राय गणपतसिंहजी बहादुर श्रापको सन् १८९८ में राय बहादुर की पदवी प्राप्त हुई। आपने अपनी स्टेट में बहुत तरक्की की । आपका विद्या दान की ओर भी काफ़ी लक्ष्य रहता था। कई विद्यार्थियों को मदद देकर आपने शिक्षित किया था । आप संतोषी तथा उच्च चरित्र वाले सजन थे । भापके पश्चात् आपकी सम्पत्ति के उत्तराधिकारी आपके छोटे भ्राता दरपतसिंहबी हुए । नरपतसिंहजी के तीन पुत्र हुए जिनके नाम अमः श्री सुरपतसिंहजी, महीपतसिंहजी एवम् भूपतसिंहजी हैं। भाप ही तीनों सजन वर्तमान में इस खानदान की जमीदारी के विस्तृत क्षेत्र का संचालन करते हैं।
- राय नरपतसिंहजी बहादुर, कैसरेहिन्द-आप और आपके भ्राता राय गणपतसिंहजी बहादुर ने मिलकर भागलपुर जिले में, हरावत नामक स्थान में अपनी जमीदारी स्थापित की और वहाँ के राजा के नाम से आप लोग प्रख्यात हुए । आपकी जमीदारी ४०० वर्गमील में फैली हुई है तथा १३०००० जनसंख्या से भरी पुरी है । आपने अपनी जमीदारी में स्कूल, अस्पताल सार्वजनिक संस्थाएँ बनवाई तथा उच्च शिक्षा का प्रबन्ध भी आपके द्वारा किया जाता है। वर्तमान में श्री सुरपतिसिंहजी के पुत्र नरेन्द्रपतसिंहजी तथा वीरेन्द्रपतसिंहजी और महीपतसिंहजी के योगेन्द्रपतसिंहजी, वारिन्द्रपतसिंहजी, कनकपतसिंहजी और कीर्तिपतसिंहजी नाम के पुत्र हैं। भूपतसिंहजी के राजेन्द्रपतसिंहजी नामक एक पुत्र हैं।