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प्रोसनाख बाति का इतिहास
सुन्दर प्रशंसा पत्र भी आपको प्रदान किया । इसीप्रकार आपको और भी कई प्रशंसा पत्र मिले ।
मेहता गोविन्दसिंहजी वर्ष तक हाकिम से। इस अवधि में भापने भील जाति को बहुत पति की। उनमें कई प्रकार के नवीन सुधार करवाये।
मेहता गोविन्दसिंहजी राजनीतिज्ञ के अतिरिक्त बहुत धर्म प्रेमी थे। आपने मगरा जिले के सुप्रसिद्ध जैव तीर्थ श्री केशरियाजी के स्थान पर एक धर्मशाला बनवाई। आपका स्वर्गवास १९७५ में ज्या भापकी धर्मपली का ३९५९ में हुवा। भाप दोनों पति पती शवदाह स्थान पर भापके पुत्र मेहता कामसिंहजी ने भापके स्मारक स्वरूप एक २ छत्री बनवाई तथा सदावर्त जारी किया ।
मेहता लक्ष्मणसिंहजी.
मेहता गोविन्दसिंहजी के कोई पुत्र न था, अतएव आपके नाम पर मेहता लक्ष्मनसिंहजी दत्तक लिये गये। वर्तमान में भापही इस बानदान के प्रमुख व्यक्ति हैं। आप बड़े बुद्धिमान, विचारक एवम शांत स्वभावी है। आपका जन्म संवत् १९४३ में हुभा। भाप संवत् १९६५ से ही राज्य की सेवाओं में
ग गये। भाप पहले क्रमशः बागोर, रासमी, सहार्ग, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, जहाजपुर आदि स्थानों पर हाकिम रहे। इसके पश्चात् आपको स्टेट के अकाउंटेष्ट जनरल का काम सौंपा गया । जिसे मापने बड़ी योग्यता एवम् बुद्धिमानी से संचालित किया। वर्तमान में भाप मेवाड़ के मगरा डिस्ट्रक्ट के हाकिम हैं। भापके दो पुत्र हैं, जिनके नाम क्रमशः मेहता भगवतसिंहजी और प्रतापसिंहजी हैं।
भापके पुत्र श्रीयुत भगवतसिंहजी बी. ए. एस. एल.बी है। आप भी अपने पिताजी ही की तरह शांत स्वभावी, मिलमसार एवम् बुदिमाम सबन है। वर्तमान में आप उदयपुर रियासत के असिस्ट सेट्टमेंट भाकिसर है, आपके माई प्रतापसिंहजी इस समय एफ. ए० में विद्याध्ययन कर रहे हैं।
मेहता सवाईरामजी का परिवार
मेहता शेरसिंहजी के दूसरे भाई सवाईगमजी का जिक्र हम उपर कर ही चुके हैं कि भाप महा. राणा भीमसिंहजी के पुत्र पर जवानसिंहजी के कुंवर पदे के प्रधान रहे। इसके पश्चात् अब अचानसिंहजी महाराणा हुए तब आपको मेहता सवाईरामजी पर बहुत कृपा रहो। दीपमालिका के अवसर पर स्वयं महाराणा भाप की हवेली पर पधार कर आपका सम्मान बहाते थे। जब आपकी पुत्री भीमती चोदवाई का विवाह मांडलगढ़ मेहतारमाणसिंहजीकेसाथ हमा तब महाराणा आपकी हवेली