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बोतवाल आति का इतिहास ... : लाला कृपारामजी नाहर, होशियारपुर
आपका खानदान होशियारपुर का ही निवासी है । लाला कृपारामजी के पिताजी लाला रामजसजी का स्वर्गवास लगभग १० साल पहिले हो गया। सन् १८८१ में लाला कृपारामजी का जन्म हुआ। लगभग बीस साल की उमर में आपने मेट्रिक और कमर्शियल क्लास पास किया और उसके दो तीन साल बाद आप म्युनिसिपल सर्विस में शरीक हुए, और इधर सन् १९०६ से होशियारपुर म्यु. के सेक्रेटरी पद पर कार्य करते हैं। ..
- लाला कृपासमजी नाहर होशियारपुर की जैन समाज में अच्छे प्रतिष्ठित व्यक्ति है। स्थानीय जैन सभा के आप सेक्रेटरी रहे हैं। आप स्थानकवासी आम्नाय के मानने वाले सज्जन हैं । धार्मिक ग्रहों में आप हिस्सा लेते रहते हैं। भापके पुत्र जुगलकिशोरजी, रोशनलालजी और मदनलालजी हैं।
दुधोरिया
दुधोरिया गौत्र की उत्पत्ति
मसीह सन् से १२५-11० वर्ष पूर्व त्यवन नामक चौहान क्षत्रिय राजा अजमेर में राज्य करते थे। इन्हीं महापुरुष से इस गौत्र की उत्पत्ति हुई है। इनके ३०० वर्ष बाद राजा दुधोरराव गद्दी पर बैठे। आपने सम्वत् २२२ (सन १६५ ईस्वी) में जैन धर्म की दीक्षा ली और तभी से आपके वंशज
दुधोरिया के नाम से प्रसिद्ध हुए। तभी से दुधोरिया गौत्र की स्थापना हुई। ... राय बुद्धसिंहजी दुधोरिया बहादुर का खानदान, अजीमगंज
अजीमगंज के इस प्राचीन प्रतिष्ठित परिवार का मूल निवासस्थान अजमेर का है। वहाँ से वीर प्रतापी राव दुधोर के तृतीय पुत्र मोहनपालजी के समय से यह परिवार चन्दोरी में चला आया और वहाँ से समय २ पर यह परिवार बनीकोट, रतलाम आदि स्थानों में होता हुआ बीकानेर के राजलदेसर नामक स्थान पर 10 वीं शताब्दी के मध्यकाल के लगभग चला गया। सन् १७०४ ई० में हरबीमालजी दुधोरिया अपने दो पुत्र सवाईसिंहजी और मौजीरामजी को लेकर अजीमगंज आये और यहाँ बस गये । आपने यहाँ पर व्यवसाय आरम्भ किया और अपनी योग्यता से अल्पकाल में ही अच्छी उन्नति की । पर व्यवसाय की वास्तविक उन्नति हरकचन्दजी दुधोरिया के समय में हुई । आपने अजीमगंज के अतिरिक्त कलकत्ता, सिराजगंज,