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प्रोसवाल जाति का इतिहास
जीवन व्यतीत करते हैं। देश और समाज-सेवा की तरफ भी आपका बहुत काफी लक्ष्य है। इतनी छोटी उस के होने पर भी सभा, सोसायटी, सम्मेलन तथा शिक्षासंस्थाओं में आप बहुत दिलचस्पी से भाग लेते रहते है। सबसे पहले नवयुवकों के शारीरिक विकास के लिये मापने प्रयत्न करके धामक गांव में एक सार्वजनिक म्यायामशाला की स्थापना करवाई, कहना न होगा कि इसके पहले यहाँ पर कोई प्यायामशाला न थी। इसके पश्चात् आपने अपनी भोर से धामक में-ज्ञानवर्धक वाचनालय का स्थापना की इसके सिवा भाप मोमिमाबाद के महावीर वालाश्रम के उपसभापति हैं। अभी आपकी उन्न बहुत कम है, मगर समाज-सेवा की जो चिनगारी इस समय आपके हृदय में सुलग रही हैं उसका विकास होने पर समाज सेकस । काम मापसे होने की भाशा है। समाज सेवा के कार्यो में आप अत्यन्त उत्साह के साथ बार्षिक देखे रहते हैं। आप भजमेर में होने वाली स्थानकवासी कान्फ्रेन्स के अवसर पर श्री स्थानकवासी जैन नपयुक्त सम्मेलन की स्वागत कारिणी के अध्यक्ष चुने गये थे। ओसवाल जाति के इस विशाल इतिहास के भी भाप एक प्रधान भधार स्तम्भ हैं।
श्रीयुत इन्द्रचन्दजी खूणावत-भापका जन्म संवत् १९० में हुआ। भापका शिक्षण भी मैट्रिक तक हुआ। आप भी सज्जन और सुशील स्वभाव के नवयुवक हैं। भापका बन्धु प्रेम बहुत बड़ा हुमा है, आप अपने बड़े भ्राता सुगन्धचन्दजी खूणावत की आज्ञा का पालन बड़ी श्रद्धा से करते हैं। भापका भी समाजसेवा और दानधर्म की ओर पूरा लक्ष्य है।
सेठ किशनलाल सम्पतलाल लुणावत, फलोदी किशनलालजी लूणावत का जन्म संवत् १९३८ की भाषाद बदी को हुभा । आप अबराबधी लूणावत फलोदी वालों के पुत्र और भाखरचन्दजी के पौत्र हैं, तथा तमसुखलालजी लूणावत (रावतमलजी के पुत्र) के यहाँ दत्तक गये है। लूणावत किशनलालजी का धर्मध्यान में जादा लक्ष है। भाप बड़े सीधे स्वभाव के पुरुष हैं। लगभग 10 लाख रुपया आपने धार्मिक कार्यों में लगाये हैं। संवत् १९॥ में आपने पाली से कापरड़ा तीर्थ का संघ आचार्य नेमिविजयजी के उपदेश से निकाला। इसके अलावा १५ हजार की लागत से फलोदी में एक विशाल धर्मशाला और देरासर बनवाया तथा भाचार्य नीतिविवव जी से उपाध्यान कराया।
लूणावत किशनलालजी ने सम्मेदशिखरजी, गिरनार, सिदाचरू, भार, तारंमाहिल, केसरिवाजी आदि कई तीर्थों की यात्रा की । पाली में किशनलाल सम्पतलाल के नाम से मापका मिरवी रब्याज का धंधा होता है और फलोदी में खास निवासस्थान है। भापके असुर निहालचन्दजी सराफ ने अपनी सम्पतिका