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श्रोसवाल जाति का इतिहास
रहे। संवत् १७८९ में आपको जोधपुर की सूवेदारी इनायत हुई। जब रायरायां भंडारी खींवसीजी के पुत्र भंडारी अमरसिंहजी दीवान हुए तब गिरधरदासजी को सिरोपाव, बैठने का कुरूब, पालको, मोतियों की कंठी और सरपंच मिला था। सम्बत् १८०1 में माप दीवान के पद से सुशोभित किये गये। इस पद पर आप १८०१ तक रहे।
भंडारी रत्नसिंहजी-भंडारी खींवसीजी और भंडारी रघुनाथजी की तरह भंडारी रत्नसिंहजी भी महान प्रतापी हुए। ये बड़े मुत्सहो, शासन कुशल और वीर थे। सम्बत् १७८० में आपने जोधपुर की ओर से गुजरात पर सैनिक चढ़ाई की और उसमें आपको बड़ी सफलता मिली। इसके बाद गुजरात के सूबे पर महाराजा अभयसिंहजी का अधिकार हो गया और भंडारी रत्नसिंहजी वहाँ के नायब सूबा बनाये गये । वहाँ कुछ वर्षों तक आपने इस प्रतिष्ठित पद पर बड़ी ही सफलता के साथ काम किया। इस वक एक प्रकार से आप गुजरात के कर्ता-धर्ता थे। गुजरात के इतिहास में भी आपके गौरव का प्रशंसनीय उल्लेख है। सम्बत् १७.२ में सूरत के सूबा सरबखां ने १० हजार फौज से अहमदाबाद पर आक्रमण किया । भंडारी रत्नसिंहजी ने बड़ी ही वीरता के साथ इससे लोहा लेकर इसे पूर्ण रूप से पराजित किया। इतना ही नहीं रत्नसिंहजी ने ४० मील तक इसका पीछा किया। इस लड़ाई में सरबखां मारा गया और रलसिंहजी के चार घाव लगे।
इसके बाद सम्वत् १०९० में आप अजमेर के गवर्नर बनाये गये। चार वर्ष तक आप इस पद पर रहे। इस समय आपको कितने ही युद्ध करने पड़े। सम्वत् १८०३ में आपने बीकानेर पर चढ़ाई की जहाँ बड़ी वीरता से युद्ध करते हुए आप काम आये। जब आपकी मृत्यु का समाचार महाराजा अभयसिंहजी ने पुष्कर में सुना तब आपको हार्दिक दुःख हुआ और आपके शोक में एक वक्त नौबत बन्द रक्खी गई।
भंडारी रत्नसिंहजी के सवाईरामजी तथा जोरावरमलजी मामक दो पुत्र थे। इनमें जोरावरमलजी भंडारी विजयराजजी के नाम पर दत्तक गये। भंडारी सवाईरामजी के बाद क्रमशः तखतमलजी, सुखमलजी, चांदमलजी, नथमलजी और अभयराजजी हुए। इस समय भंडारी अभयराजजी के पुत्र भंडारी सम्पतराजजी विद्यमान हैं। आपने अजमेर के रायबहादुर सेठ नेमीचन्दजी की ओर से भरतपुर, करौली आदि कई रियासतों में खजांची काम किया। इस समय आप कोटे के सेठ दीवानबहादुर केसरीसिंहजी की ओर से आबू में खजांची का काम करते हैं। आपका कई बड़े-बड़े पोलिटिकल ऑफिसरों से बड़ा भच्छा सम्बन्ध रहता है और उनकी ओर से आपको कई अच्छे २ प्रशंसा-पत्र मिले हैं। मेड़ते में आपके पूर्वजों की बनाई हुई हवेली है।।