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श्रोसपाल जाति का इतिहास के प्रारम्भ से ही व्हाइस चेअरमैन हैं। बीकानेर हाई कोर्ट के आप जूरी भी हैं। आपको सन् १९२१ की सेन्सस के समय मदद करने के उपलक्ष में बंगाल सरकार ने एक सर्टिफिकिट प्रदान कर सम्मानित किया था । आप कलकत्ता श्री जैन श्वेताम्बर तेरा पंथी सभा के कई साल तक उप सभापति तथा जैन श्वेताम्बर ते. स्कूल के सभापति का आसन ग्रहण कर चुके हैं । आपकेछः पुत्र हुए जिन केनाम क्रमशः मालचन्दजी, लखमीचंदजी भमोलकचन्दजी, श्रीचन्दजी, फतेहचन्दजी और पूनमचन्दजी हैं । इनमें से लखमीचन्दजी जिन्होंने I. A. की परीक्षा की तयारी की थी परन्तु परीक्षा के पूर्व ही स्वर्गवासी हुए । आपके किशनलालजी नामक एक पुत्र है। बाबू अमोलकचन्दजी ने सपत्नीक श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सम्प्रदाय में संवत् १९४८ के ज्येष्ठ शुक्ला
को दीक्षा ग्रहण करली । आपके शेष चार पुत्रों में से तीन व्यापार में सहयोग लेते हैं और एक पढ़ते हैं। . बा. सिंचियालालजी-आपका जन्म संवत् १९४३ का है। आप धार्मिक विचारों के पुरुष है। आपके चार पुत्र हुए थे जो छोटी वय में ही स्वर्गवासी हो गये। तथा संवत् १९७६ में जब कि भापकी अवस्था केवल ३२ वर्ष की थी, आपकी धर्मपत्नी का भी स्वर्गवास हो गया। इसके बाद मापने विवाह नहीं किया । आपने आपके छोटे भाई सेठ चांदमलजी के पुत्र बा. बच्छराजजी को दत्तक लिया है। भाप I. A. तक विद्याध्ययन कर फर्म के काम में सहयोग लेते हैं।
बा. हीरालालजी-आपका जन्म संवत् १९१६ में हुआ। आप दयालु तथा मिलनसार प्रकृति पुरुष हैं। आपके एक पुत्र हैं जिनका नाम पन्नालालजी है । आप भी व्यापार में भाग लेते हैं।
बा. चान्दमलजी-आपका जन्म संवत् १९४७ का है। आप कुशल व्यापारी हैं। जैन धर्म की आपको विशेष जानकारी है। आप बड़े सरल एवं योग्य सज्जन हैं । आपके पांच पुत्र हैं जिनके नाम बच्छराजजी जो सींचियालालजी के यहां पर दत्तक गये हैं, खेमकरणजी, लंकापतसिंहजी, शेषकरणजी और अनोपचन्दजी हैं। बा. खेमकरणजी व्यापार में सहयोग लेते हैं । शेष पढ़ते हैं।
बा० नगराजजी-आपका जन्म संवत् १९४८ का है । आप भी इस फर्म के संचालन में भाग लेते हैं। भापके चार पुत्र हैं जिनके माम बा• कन्हैयालालजी, नेमचन्दजी तथा नन्दलालजी हैं। बा. कपालल्जी और मेमचन्दजी न्यापार में भाग लेते हैं । बा० कन्हैयालालजी के २ पुत्र हैं जिनमें बड़े का नाम भंवरलालजी हैं।
बा० हंसराजजी-आपका जन्म संवत् १९५१ में हुआ। तथा आपका स्वर्गवास संवत् १९७२ की महा सुदी में हो गया । आपके तीन पुत्र है जिनके नाम क्रमशः बा. माणकचन्दजी जो मेट्रिक में पढ़ते हैं, रतनलालजी और गोपीलालजी हैं। आप लोग भी पढ़ते हैं।
बा० इन्द्राजमलजी-आपका जन्म संवत् १९५१ का।आप भी व्यापार में भाग लेते हैं।