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ओसवाल जाति का इतिहास
भाई सिंघवी हिम्मतमजी का जन्म १९४४ में हुआ । सन् १९९३ में आपने एल० एल० बी० की डिग्री प्राप्त की। शुरू २ में आप मारवाड़ के इन्सपेक्टर ऑफ स्कूल्स रहे और इस समय आप जोधपुर महकमा खास में ऑफिस सुपरिटेण्डेण्ट के पद पर काम करते हैं। आपके पुत्र राजमलजी, पुखराजजी और चन्दजी हैं।
यह सिंघवी परिवार सिरोही स्टेट में अग्रगण्य और शिक्षित माना जाता है ।
सिंघवी कुशलराजजी, मेड़ता
महाराजा तखतसिंहजी के राज्यकाल में इस स्वामदान को नागौर के ताऊसर नामक गाँव में ३०० बीघा जमीन मिली जो संवत् १९०४ तक इस कुटुम्ब के अधिकार में रही। सिंघवी छज्जूमलजी और उनके पुत्र गादमलजी तथा पौत्र फौजमळजी नागोर में निवास करते रहे। सिंघवी फौजमलजी के चंदनमलजी समीरमलजी तथा चेवरचन्दजी नामक ३ पुत्र हुए। इनमें सिंघवी चन्दनमलजी संवत् १९१९ में मागोर के हाकिम थे, आप नागौर से मेड़ता आये । भापके फतेराजजी तथा जसराजजी नामक २ पुत्र हुए, इनमें जसराजजी, सिंघवी समीरमरूजी के नाम पर दत्तक गये । फतेराजजी का स्वर्गवास संवत् १९६५ में तथा जसराजजी का संवत् १९६० में हुआ। सिंघवी फतेराजजी के धनराजजी तथा कुशलराजजी नामक २ पुत्र हुए। धनराजजी गूलर ठिकाने में काम करते थे, तथा जबलपुर में रीयाँवाले सेठों की दुकान पर मुनीमात करते थे, इनका शरीरावसान संवत् १९८५ में हुआ, इनके पुत्र गणेशराजजी आरायज नवीस हैं । सिंघवी कुशलराजजी का जन्म संवत् १९३८ की आसोज सुड़ी में हुआ, आप जोधपुर राज्य और ठिकानों की सर्विस के बाद संवत् १९६५ से मेड़ते में वकालात करते हैं, तथा यहाँ के मोअजिज सजन माने जाते हैं। आपके पुत्र मथराजजी तथा मदनराजजी हैं। नमराजजी की वय १९ साल की है, और आप एफ० ए० में पढ़ते हैं ।
सेठ छोगमल वरदीचन्द संघी, गुड़ीवाड़ा (मद्रास )
इस परिवार का मूल निवास आहोर है। वहाँ से व्यापार के निमित्त संवत् १९४४ के पहिले संघी ऊमाजी के बड़े पुत्र जसरानजी, मछली पट्टम आये, पीछे से जसराजजीं के छोटे भ्राता छोगमलजी तथा वादीचन्दजी भी वहाँ आ गये । आप लोग १९७० तक मछली पट्टम में कपड़े का धंधा करते रहे, पश्चात् वहाँ
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