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मोसमात नाति का इतिहास
सेठ लक्ष्मीचंदजी मुहणोत उज्जैन इस परिवार का इतिहास रीयां के सेठों से शुरू होता है। उसी खानदान के सेठ गुमानजी के पुत्र प्रतापमझजी करीब १०० वर्ष पूर्व भेलसा नामक स्थान पर व्यापार के निमित्त गये। वहाँ भाप साधारण लेनदेन का व्यापार करते रहे। भापके क्रमशः सेठ नवलमलजी और किशनचंदजी नामक दो पुत्र हुए। आप दोनों ही भेलसा से जबलपुर गये और वहाँ राजा गोकुलदासजी के यहाँ काम करने
गे। पाचात् भपनी होशियारी से नवकमळजी जबलपुर की बंगाल बैंक शाखा के खजांची हो गये। मापने अच्छी सम्पत्ति उपार्जित की। आपके पुत्र न होने से भापके भाई किशनमलजी के दो पुत्रों में से एक लक्ष्मीचंदजी को वचक लिया तथा दूसरे पुत्र फूलचंदजी अपने पिताजी के पास ही रहे ।
बापू कसमीचंदजी बड़े योग्य, होशियार और समझदार व्यक्ति हैं। पहले तो मापने राजा, गोदासजी के यहाँ काम किया पाचात् भाप उज्जैन के विनोद मिल में एकाउन्टेन्ट हो गये। आज कल भाप बीमा की एजंसी का काम करते हैं। आप यहाँ के आनरेरी मजिस्ट्रेट तथा चेम्बर माफ कामर्स के सेक्रेटरी है। भापके समीरचंदजी नामक एक दचक पुत्र हैं। मापने अपने पिताजी के स्मारक स्वरूप अपने भवन का नाम 'हम निवास' रखा है।
मुहणोत हस्तीमलजी, जोधपुर
मुहणोत सोभागमलजी जालौर में निवास करते थे तथा वहाँ के कोतवाल थे। उनका अंतका गभग संवत् १९५५ में हुभा । इनके पूर्वजों का राजकुमार पाल के समय का बनाया हुभा मन्दिर बालोर केहि में विद्यमान है।
___ मुहणोत सौभागमलजी के पुत्र हुए । मिश्रीमलजी तथा हस्तीमलजी। मिश्रीमलजी का संवत् १९५७ में अन्तकाल हो गया। मुहणोत हस्तीमलजी का जन्म संवत् १९३४ में हुभा । भापणे जालौर में हिन्दी तथा उर्दू का ज्ञान प्राप्त किया और संवत् १९५५-५६ से जोधपुर चीफ कोर्ट की पकालत शुरू की। इस समय माप जोधपुर में फर्स्ट क्लास वकील माने जाते हैं।
मुहणोत हस्तीमलजी के मांगीलालजी, मोहनलालजी तथा रणरूपमल्जी नामक तीन पुत्र है। मांगीलालजी का भादवा सुदी • संवत् १९६१ में जन्म हुमा। आपने सन् १९३१ में इलाहाबाद पुनिवर्सिटी से बी. ए. एस. एल. बी. पास किया, क्या वर्तमान में आप बालोतरा (जोधपुर-स्टेट ) में