________________
.
बोथरा
अच्छा सम्मान था। आपको तत्कालीन बीकानेर नरेश ने प्रसन्न होकर एक गाँव जागीर में रक्षा था । आप के जैतमालजी नामक एक पुत्र हुए। आपभी मुकीमात का काम करते रहे। कुछ समय पश्चात् आप को दरबार ने खजाने का काम सौंपा। तब से खजाने का काम भाप ही के वंशाजों के हाथ में हैं । खजाने ही का काम करने के कारण आपके परिवारवाले खजांची कहलाते हैं।
सेठ जैतमालजी के तीन पुत्र हुए जिनके नाम क्रमशः भोमजी, चतुर्भुजजी और शेरजी था। वर्तमान परिचय सेठ भोमजी के परिवार का है। शेष भाइयों के परिवार के लोग अलग २ रूप से अपना काम काज करते हैं। सेठ भोमजी के छोगजी और मानमलजी नामक दो पुत्र हुए। दूसरे पुत्र मानमल जी दत्तक चले गये। छोगजी के बागजी नामक एक पुत्र हुए। आप दोनों ही पिता-पुत्र अपने पूर्वजों के खजाने के काम को करते रहे। बागजी के संतान न होने से मेघराजजी दत्तक लिये गये।
सेठ मेघराजजी का जन्म संवत् १९१५ में हुआ। जब आप केवल १० वर्ष के थे तब से ही खजाने के काम का संचालन कर रहे हैं। इस समय आपकी आयु ७६ वर्ष की है। इतने वृद्ध होने पर वर्तमान महाराजा साहब बीकानेर आपको अलग नहीं करते हैं। आपके कार्यों से दरबार बड़े प्रसन्न हैं। आपको दरबार की ओर से साह की सम्मान सूचक पदवी प्राप्त है। साथ ही गाँव की जागीर के अलावा आपको अलाउस तथा घोड़े की सवारी का खर्च मिलता है। आप समझदार और प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं। आपके चार पुत्र हैं जिनके नाम क्रमशः पूनमचंदजी, अभयराजजी, मुन्नीलालजी और धनराजजी हैं। इन में से पूनमचंदजी और मुन्नीलालजी का स्वर्गवास हो गया है। आप दोनों ही क्रमशः अपने पिताजी के साथ खजाने का तथा कलकचे की फर्म का संचालन करते रहे हैं। यह फर्म संवत् १९६४ में कलकत्ते में स्थापित हुई थी। इसका नाम मेसर्स मुनीलाल धनराज है। पता ११३ क्रास स्ट्रीट है। यहाँ कपड़े का व्यापार होता है। इस समय इसका संचालन अभयराजजी कर रहे हैं और धनराजजी स्टेट बैंक के ट्रेझरर हैं।
बा० पूनमचन्दजी के माणकचंदजी तथा धनराजजी के शिखरचन्दजी नामक एक २ पुत्र हैं । माणकचन्दजी अपने दादाजी के साथ खजाने का काम करते हैं।
इस परिवार की बीकानेर में अच्छी प्रतिष्ठा है। इस समय चूरू परगने का 'बूटिया' नामक एक गाँव इस परिवार की जागीर में है।