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श्रोसवाल जाति का इतिहास
आसकरणजी का स्वर्गवास सं० १९८५ में, सेठ मोतीचन्दजी का संवत् १९७५ में तथा सेठ मनोहरमजी का संवत् १९५९ में हुआ।
सेठ आसकरणजी के दौलतरामजी तथा दौलतरामजी के बस्तीमलजी नामक पुत्र हुए। सेठ दौलतरामजी का संवत् १९६३ में स्वर्गवास हो गया है। सेठ मोतीचन्दजो के लादूरामजी एवं मूलचन्दजी मामक दो पुत्र हुए। इनमें से लादूरामजी अपने काका मनोहरमलजी के यहाँ पर गोद गये ।
सेठ लादूरामजी का जन्म संवत् १९४५ में हुआ। आप समझदार और प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं। आपकी नाशिक व खानदेश की ओसवाल समाज में अच्छी प्रतिष्ठा है। आपके चम्पालालजी तथा वंशीलालजी नामक दो पुत्र हैं । चम्पालालजी दुकान के काम को संभालते हैं। सेठ मूलचन्दजी का जन्म संवत् १९५४ में हुआ। आप भी प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं। सेठ बस्तीमलजी के गणेशमलजी नामक पुत्र हैं। आप लोगों का मेसर्स मोतीचंद मनोहरमल के नाम से लेन-देन का काम काज होता है।
लाला शिम्बूमलजी जैन-बोथरा का खानदान, फरीदकोट
यह खानदान करीव २०० वर्ष पहले से ईसेखां के कोट (फरीदकोट) से फरीदकोट में आकर निवास करने लगा। इस खानदान में लाला मयमलजी हुए । आप फरीदकोट स्टेट के खजांची रहे । आपके छाला शिब्बूमलजी और नंदूमलजी नामक दो पुत्र हुए।
.. लाला शिब्बूमलजी बड़े लोकप्रिय सजन थे । आप यहाँ की स्टेट के ट्रेझरर भी रहे हैं। आप पर यहाँ के तत्कालीन महाराजा विक्रमसिंहजी की बड़ी कृपा रहा करती थी। आपके स्वर्गवासी होजाने के समय संवत् १९६१ में आपका शव किले के दरवाजे के अंदर लाया गया, और उस समय आपके मृतदेह का वहाँ के महाराजा ने खुद आकर फोटो लिवाया । आपके लिये, ऑइनाए ब्रॉड बंश फरीदकोट स्टेट हिस्ट्री पृष्ट ६९७ में लिखा है कि "कदीमों की कदर आफजाई में यहाँ तक बदिले इल्तफात फरमाया कि अगर उनमें से कोई आलिमे जावदानी को चल बसा तो उनके जनाजे की वो इजत की जिसकी तमन्ना जिर्दे हजार जान से करें"। लाला शिब्बूमलजी के लाला देवीदासजी नामक पुत्र हुए। आप भी फरीदकोट स्टेट के तोशे खाने का काम संवत् १९७० तक करते रहे । आपका संवत् १९८९ में स्वर्गवास हुआ। इस समय आपके पुत्र लाला बालगोपालजी, कृष्णगोपालजी, विष्णुगोपालजी उर्फ प्यारेलालजी विद्यमान हैं। लाला कृष्णगोपालजी फरीदकोट स्टेट में मुलाजिम हैं । आप होशियार तथा मिलनसार सज्जन हैं।