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सिवाल जाति का इतिहास
लाला गोकुलमलजी व रघुनायदासजी फरीदकोट महाराजा बलवीरसिंहजी के प्राइवेट खजांची रहे थे । आप दोनों मौजूद हैं। चौधरी हरभजमलजी स्थानीय म्यु० के वाइसप्रेसिडेंट थे। लाला मुंशीरामजी, चौधरी हैं। इसी तरह लाला परमानंदजी, पालामलजी व उत्तमचन्दजी का स्टेट खजाने से ताल्लुक रहा है।
बाबू किशोरीलालजी जैन, बोथरा-फरीदकोट (पंजाब)
लाला जातीमलजी साहुकारे का काम करते थे। इनके हरभजमलजी वसंतामलजी, सोनामलजी व चांदनरायजी नामक ४ पुत्र हुए। लाला हरभजमलजी फरीदकोट म्यु० के वाइस प्रेसिडेंट तथा शहर के चौधरी थे। उमर भर आप सरकारी कामों में सहयोग देते रहे। १९१४ के युद्ध में रिक्रट भरती कराने में आपने इमदाद दी । १९४२ में आप गुजरे । आपके भाई धन्धा करते रहे ।
.. लाला सोनामलजी के पुत्र लाला किशोरीमल जी जैन बी० ए० से सन् १९२७ में एल० एल० बी० की डिगरी हासिल की। आप गुरुकुल पंच कूला में ॥ साल तक अधिष्ठाता रहे। तथा १९२३ से ६ सालों तक आफताव जैन के सहायक सम्पादक तथा सम्पादक रहे ।
सेठ नथमल जीवराज बोथरा, मद्रास इस परिवार के पूर्व पुरुष पहले पहल खेजडले में रहते थे। वहाँ से आप लोग सरियारी और फिर भाउभा ठाकुर के प्रयत्न से चकपटिया ( सोजत ) में लाये गये । वहाँ पर आप लोगों को नगर सेठ की पदबी देकर उक्त ठाकुर साहब ने सम्मानित किया। आप श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सम्प्रदाय को मानने वाले हैं।
इस खानदान में सेठ भाकाजी हुए। आपके मुकनाजी और मुकनाजी के नथमलजी नामक पुत्र हुए। आप लोग यहाँ के ठिकाने के कामदारी का काम करते रहे। सेठ नथमलजी के पुत्र जीवराजजी
सेठ जीवराजजी का जन्म संवत् १९२६ में हुआ था । आप संवत् १९५८ में मद्रास भाये और यहाँ भाकर पट्टालमसूला गैन्सरोड में अपनी फर्म स्थापित की। आप संवत् १९६६ में मारवाद में स्वर्गवासी हुए। आपके केशरीमलजो, बख्तावरमलजी तथा पन्नालालजी नामक तीन पुत्र हैं। आप तीनों भाइयों का जन्म क्रमशः संवत् १९४४, १९४४ और १९५६ का है । आप तीनों इस समय सम्मिलित रूप से ही म्यापार करते हैं। आप लोगों ने अपनी फर्म की लीक उति की है।