________________
श्रोसवाल जाति का इतिहास
सक सब प्रबन्ध कर लेना ठीक है। तब मन्त्री नगराजजी ने शेरशाह बादशाह के पास जाकर उससे सहा. यता मांगी। सहायता मिलने के पहले ही मालदेव ने जांगलू पर चढ़ाई कर दी। इस युद्ध में जैतसीजी काम आये और मालदेव का जांगलू पर अधिकार हो गया, पर नगराजजी ने शेरशाह की सहायता से मालदेव को परास्त कर जांगलू का राज्य वापस जैतसीजी के पुत्र राव कल्याणसिंहजी को दिलवाया और उन्हें मारस्वत नगर से लाकर राज्य गद्दी पर बिठाया। नगराजजी ने धार्मिक कार्यों में भी बहुत रुपया खर्च किया। मापने भी यात्राओं का संघ निकाला । • आपकी पत्नी का नाम नवलदेवी था। आपने अपने नाम से नागासर नामक एक गांव बसाया था जो वर्तमान में भी विद्यमान है। - राव जैतसीजी के युद्ध में काम आजाने के पश्चात् उनके पुत्र राव कल्याणसिंहजी बीकानेर की गद्दी पर बिराजै। उन्होंने मन्त्री नगराज जी के पुत्र संग्रामसिंहजी को अपना मन्त्री बनाया । आप बड़े वीर पराक्रमी और बुद्धिमान थे। आपने भी श्रीजिनमाणिक्यसूरिजी को साथ लेकर शर्बुजय आदि तीर्थों की यात्राओं का एक संघ निकाला था। जिसमें प्रत्येक साधर्मी भाई को एक रुपया, एक थाल और एक सडडू लहान में बांटा था । मार्ग में आप चित्तौड़पति उदयसिंहजी की सेवा में उपस्थित हुए थे उस समय महाराणा ने आपका बहुत सम्मान किया था। बच्छावत करमचन्दजी
आप बीकानेर के प्रधान मेहता संग्रामसिंहजी के पुत्र थे। आप बड़े प्रतिभाशाली, बुद्धिमान एवं परम राजनीतिज्ञ थे। आप अपने समय के महापुरुष और प्रसिद्ध मुत्सद्दी थे। भापकी अपूर्व प्रतिमा
और कार्य कुशलता से प्रसन्न होकर बीकानेर के तत्कालीन महाराजा कल्याणसिंहजी ने आपको अपना प्रधान मन्त्री नियुक्त किया था। जिस समय की यह बात है, उस समय सम्राट अकबर भारत के राज्य सिंहासन पर विराजमान थे। कहना न होगा कि कर्मचन्दजी ने न केवल बीकानेर के राजनैतिक क्षेत्र में, न केवल राजस्थान के राजनैतिक मैदान में वरन् ठेठ शाही दरबार में अपने महान् व्यक्तिस्व और अपूर्व राजनैतिक योग्यता की छाप डाली थी। सम्राट अकबर पर आपका बड़ा प्रभाव था और वह कभी कभी भारतीय राजनीति के गूढ़तम प्रश्नों कि सुलझाने में और अपनी शासन नीति के निर्माण में, आपकी सलाह लिया करते थे । फारसी के तत्कालीन ग्रन्थों में तथा जयसोम कृत "कर्मचन्द्र प्रबन्ध" में मन्त्री कर्मचन्दजी के महान जीवन के विविध पहलुओं पर और उनके तत्कालीन प्रभाव पर बहुत ही अच्छा प्रकाश डाला गया है। . . . एक इतिहासज्ञ का कथन है कि कभी कभी छोटी छोटी घटनाएँ भी महान् ऐतिहासिक घटनाओं को जन्म देती हैं। मन्त्री कर्मचन्दजी का एक मामूली-सी घटमा ने सम्राट पर प्रभाव डाल दिया।