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वं पुराने ढंग से बाहिर जानेवाली अफीम को रोक दिया, जिससे सारी अफीम उदयपुर होकर भामदाबाद जाने लगी। इस काम में पन्नालालजी ने बहुत हाथ बटाया। इससे राज्य की मामदनी भी खूब बड़ी । भापकी इन सेवाओं से प्रसन्न होकर भापको पहिले की जागीर के अतिरिक्त तीन गाँव अच्छी आमदनी के
और प्रदान किये और 'शम्भुनिवास' में इन्हें सोने का लंगर पहनने का सत्कार प्रदान किया। इनकी इस प्रकार बढ़ती हुई हालत को देखकर इनके बहुत से विरोधियों ने महाराणा को इनके खिलाफ सिखाया और इन बड़े २ ऑफिसरों से यात्रा के रुपये माँगने को कहा। इसी सिलसिले में इनसे १२००००) एक शाख बीस हजार रुपयों का रुक्का भी लिखवा लिया था। परंतु पीछे से महाराणा ने १००००) चालीस हजार रुपयों के अलावा सब छोड़ दिये। ..
मेहता पालाजो ने अपनी परिश्रम शीलता, प्रबंध कुशलता एवम् योग्यता से महाराणा साहब को समय र पर हानि कामों को बतलाते हुए राज्य की नीव बहुत मजबूत करदी । ऐसा करने में कोगों के स्वार्थों पर आघात पहुंचा और उन्होंने फिर इनके विरुद्ध शिकायतें शुरू करदी। उन्होंने महाराणा को न्यावस्था में यह कह कर बहकाया कि ये तो रिश्वत खाते हैं और भाप पर जादू कर रक्खा है। इन बातों में भाकर महाराणा ने इन्हें वि० सं० १९३१ भाद्रपद वदी १५ को कर्णविलास में कैद किया। तहकीकात करने पर ये उक्त दोनों बातों से निर्दोष ठहरे लेकिन इनके इतने शत्रु हो गये थे जो प्राण लेने तक को तयार थे। ऐसी परिस्थिति में पोलिटिकल एजंट की सलाह से आप कुछ समय के लिये अजमेर जाकर रहने लगे।
मेहता पन्नालालजी के कैद हो जाने पर महकमा खास का काम राय सोहनलाल कायस्थ के सुपुर्द हुआ। परन्तु उनसे काम न होता देख वह काम मेहता गोकुलचन्दजी और सही वाले भर्जुनसिंहजी को दिया। मेहता पत्रालालजी के अजमेर चले जाने के पश्चात् से महकमा खास का काम ठीक तरह से म पलता देख कर महाराणा सजनसिंहजी के समय पोलिटिकल एजंट कर्नल हर्बट ने वि० सं० १९३२ में उन्हें अजमेर से खुलवा कर फिर महकमा खास का काम सुपुर्द किया। .
मापने महकमा खास के भार को सम्हालकर कई नवीन काम किये। भापने संवत् १९३५ में पहले पहल स्टेट में सेटलमेंट जारी किया तथा इससे अप्रसन्न जाट-बलाइयों को बड़ी बुद्धिमानो एवम् होशियारी से इसके सानि-लाभ समझा बुझाकर शांत किया । साथ ही सेटलमेंट को पूर्ववत् ही जारी रखा । भापने शिक्षा विभाग में भी सुधार किया। यहाँ के हायस्कूल युनिवर्सिटी से सम्बन्धित किये गये और महाराणा की मृत्यु पर बाँटे जाने वाले १०) प्रति ब्राह्मण की पद्धति को कम कर ) प्रति ब्राह्मण कर बहुत बड़ी रकम स्कूल, भस्पताल आदि अच्छे कामों में खर्च करने के लिए बचाली। जिलों में स्कूल और