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| श्रीसवाल जाति का इतिहास
दिवासि श्री पार्श्वनाथ स्मृति नेश्वरस्या प्रसादतः संउसमी दितानि श्री शांतिनाद स्यप दप्रसादा हिघ्घानिन श्यं वैद्यशांतिः॥१ संवत् १५८३ वर्षिमाग सिरमुदि ११ दिने श्रीजेसलमेरु महाऽर्ये राउल श्री चाविगदेव हे राउल श्रीदेवक पहेमदा राजाधिराज राउल श्रीजयतु सिंहविजविराज्येक मर श्रीला युव राज्ये श्री केशवं श्री मरखवाल गोत्रेसं० श्री बापुत्र सं0 कोचर या । जिन इ कोरंटई नगरिन संरखवाली गा मइ उत्तंगतो राजे नप्रासादकरा । आबूजी राल श्री संवि
यात्रा की थी। जिला पाडू उदारगुणा इंचाप वरनउ सर्वधन लोकनीदेई को रटइक नामनाली ||| सं०कोचरत्र सं0मलान सं० ग्लास०ही रास० ला सार्या सं०मालिक दे पुत्र [सं० श्रापमल्ल सं०देप मल्ला मै० आपमल्लता कमलादे पुत्रसं०पधासं० नीमासं० जेवा संघा तार्याशनादेव सं० प्रासराज सं० मुंबराजपुत्रिकास्पाणी । सं० आसराज श्री राजयम हाती श्री संघसहित यात्रा की आपण वित्त सफल की। सं० श्रासराज नार्याचा०सं०पांना गेला जिला श्री राजे जय गिरनार श्राती यात्रा की थी। श्रीशचंजयादितीर्घावतारपाटी करावी (सतोर लम्परिकर श्री मिनाना विबरीरादी श्री सत्वनोधन देहरइ मंडा था। समस्त कल्पा एका दि कनपनी पाटी सैलमदकरावी। सं०] सराज नार्य संता सं० पाता संत ०१५११ श्री जयर नारती श्री संघसहित यात्रा की इमव रस २ती यात्रा करतासं०१५२४ ते रमी यात्रा करी श्री यक परिपरी पालता श्री आदिनाथ प्रमुखतीर्थ करनी प्रजाक रताब दतप्करी बिलाषन वकार गुलीवज वसँघनीनक्रिकरी श्रीणावित सफल को बली चोपड़ा संपाचा पुत्र [सं० सिवराज संमहि राज सं० लोलासंघवीला (ए)चिका मं० गेली। सं०ला सं० सिट्रा सं०समरा सं०माला संगम हा सं० सह सं०ॐ प्रमुख परिवारसहित व० सं०लाब (ए) संखवाल स० या स राजपुत्रसंताबिक मिली श्रीजेसलमेरु नगरिंग ढक परिबिलामिक श्री अष्टापदम हाती प्रासादक राया। ०१५३६ वर्षे फागुन दिदिने राउत श्री देवक राज्य समस्त देखना संघमेलवी श्रीजिनचंद्र सरश्री जिनसमुद्रसूरिन्द्र लिप्रतिष्टा करावी श्री ॐ नाव श्री शांतिनाधमूलना याचवी सतीर्थ करनी अनेक प्रतिमान रावी। संत इसम समारू याडि माहिरू पानालासहि तसम कतलाकू लाह्या सोनाने प्रापरे श्री कल्पास होत नामोधा लिखायां । श्रीजिन समुद्रमरिक हा श्री शांति सागर सूरित्राचार्यनी सापना करावी। श्रीश्रष्टापती विकार जगति करावी (विबममाव्या। संताना यम सरसतिपुत्र संदीदा सं०त्रिकाधात्री सं०नो मानार्यास नायक दे सं० सं०वी दाना या संमरादे संविमला सं० विमलादे पुत्र [सं० महसमल्ल सं०करला संधर (निकाह सलह खू। सं०स० सहसमल्ल लायी सं० ॐ पुत्र तोला स०सवी काही संकरा कनकादे प्रत्रषी दात्रिकालाला स० वरना यावर निगदे त्रिकाया है। । इत्यादिपरिवार सहिता संवाद श्री जय गिरनारभूतीयाना की मी । समकित मो एक घतषी साकर नीला हिणिकी मी श्री जिन है स सू (रंगल नायकवर्षयं विम होळकरी अली घ२२ प्रत याही पोच मिनी जमलाकीधा पांच सोन याप्रमुख अनेक वस्तु जमलमा श्री कृल्प सिद्धांत की वारा या पांचदारलाषनव का रंगुली वारसा जो डी अल्लानालाहि लिकी धी । सं० सहसमल श्री श जयंती यात्राकरी जून इगदिरा पर वीरमगाम्पाटापार करिबॉक अल्ली लाह लिकरी घरे माया सं०वीदइ घररत इदसर से रघतला ह्या श्रष्टापदप्रासाद बिऊ भूमिऽऽ कारजगतिनाबारणा नीच की करावी | 933साए जाली १४ सदा देह राऊ परिकागु राम्रष्टापदक राया। का सभी या श्रीपार्थानी विकराव्या बिहाधिए सं०वेतासं० सरसतिनी मूर्तिक रावी । ०९५८१ वर्षे माग सिरव ६१० रविवारेमहाराजाधिराज राउली जयसिंह तथा ऊ मरश्री लू एकवचनात् श्री पार्श्वनाथ हा पद दिनालाई संवाद से राजावी उतनाव ड बंधाया। बारा उसाएक राव्या वा चाल करावी को हर एक कराव्या । गाइ सह सरजोडी घत गुरुणी वारषट् दरसल ब्राह्मणा दिक नादी था। श्री जेसल मे रुगढ़ नीद दिदि सइ घाघराबंधाव्यादेिवरानी सेरी नई घाघरा बेऊ श्री जय तसिंहराउन प्रदेस संवाद कराया। गजकरावीद सचवतारसहित लक्ष्मी नारायनी भावी जिनोद शाद तारो प्यवताररहित स्पा श्रीषो ऽऽऽ जिनेंद्रस्यासमियायपुरीष्ट ये सम्पधारिचा हा वितीर्घकरचतः सलक्ष्मी कः समाया तो जिनो दायि दिकनीकमा मं० सहसमल्ल सं०] करणासं० णाकरा विस्प ३॥ इत्येषा प्रात्रिः श्री वृद्धखरतरगळे श्री ति सपि हालंकार श्री जिनमा कर सूरिविजयि राज्ये श्री देव तिल कोपाध्यायेन लिखिता विरनंदन रमन सुख पुत्र सत्रधार तक नमुद का रिप्रशस्ति रेषा को री र्तं ॥ ॥ श्रीव
श्री शान्तिनाथ मंदिर प्रशस्ति जैसलमीर
( श्री बा० पुरणचन्द्रजी नाहर के सौजन्य से )