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धार्मिक क्षेत्र में श्रोसवाल माति मण्डप तैयार करवाया और अजमेर के महावीर स्वामी के शिखर वाले चौबीस मन्दिर (छोटे मन्दिर ) बनवाये। जस्सोल का जैन मदिर
जोधपुर राज्य में जस्सोल नाम का एक ग्राम है। वहां शांतिनाथजी का एक प्राचीन मन्दिर है। इसमें दो लेख खुदे हुए हैं। उनमें पहला लेख सं० १२४६ को कार्तिक बदी २ का है, जिससे ज्ञात होता है कि श्री देवाचार्य (वारीदेवसूरि ) के गच्छ वाले खेट गाँव के महामन्दिर में श्रेष्ठी सहदेव के पुत्र सोनीगेय मे स्तम्भजुग अर्थात् दो अंभे बनवाये । उक्त लेख से पह प्रतीत होता है कि जस्सोल का पुराना नाम खेद (खेट-संस्कृत में ) था तथा उक्त मन्दिर मूल में महावीर स्वामी का था जो वर्तमान में शान्तिनाथजी के. मन्दिर के नाम से प्रसिद्ध है। झाड़ोली का जैन मंदिर
यह गाँव सिरोही से 1॥ माइल की दूरी पर और पीडवाड़ा स्टेशन से २ माइल पायव्य कोण में है। पहां पर एक प्राचीन जैन मन्दिर है जो आज कल शान्तिनाथ के नाम से प्रसिद्ध है। मन्दिर भन्य जैन मन्दिरों की तरह एक कम्पाउण्ड से घिरा हुआ है और उसके आस पास देव कुलिकाएँ तया परसाले हैं। आगे के भाग के देवगृह में एक बड़ी शिला जड़ी हुई है जिस पर एक लेख खुदा हुआ है। यह लेख संवत् १२५५ की आसोज वदी • बुधबार का है। इस लेख से पाया जाता है कि परमार राजा धारावर्ष की रानी भंगारदेवी ने उस मन्दिर को एक बाड़ी भेंट की थी। इस देवालय के अन्दर का भाग बदा ही सुन्दर और नयन-मनोहर है। इसके बाहर का द्वार उदयपुर राज्य के करेड़ों गाँव के पार्श्वनाथ के मन्दिर के समान तथा उसके स्तम्भ और उसके कमान भाई के विमल शाह बालय की तरह है।।
इसके आगे परसाल में एक दूसरा शिला लेख है जो संवत् १२३५ की फाल्गुन वदी चतुर्थी का है। इसमें श्री देवचन्द्रसूरि द्वारा की गई ऋषभदेव की प्रतिमा की प्रतिष्ठान उल्लेख है। इसी गाँव के बीच में एक सुन्दर पुरानी बावड़ी है जिसमें वि० संवत् १२॥२ का एक टूटा हुआ लेख है । इसमें उक्त परमार धारावर्ष की पटरानी गीगादेवी का नाम है। पासाका जैन मान्दर
इस मन्दिर के विषय में सुप्रख्यात् पुरातत्वविद् राय बहादुर महामहोपाध्याय पं. गौरीशङ्करजी मोठा लिखते