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बोसवाल जाति का इतिहास
सुचारू रूप से संचालित की जा रही है। इस संस्था की स्थाई सम्पत्ति में "आत्मानन्द जैन गंज" मुख्य है जिसकी किराये की आय से संस्था का व्यय पळता है। अम्बाला शिक्षित सज्जनों की एक कमेटी के जिम्मे इस संस्था का सारा प्रबन्ध भार है।
श्री नाथूलाल गोधावत जैन पाश्रम सादड़ी-इस संस्था को स्व• सेठ नाथूलालजी गोधावत ने सवालाख रुपये के भादर्श दान द्वारा छोटी सादड़ी में स्थापित किया। वर्तमान में भी आपके पौत्र सेठ छगवलालजी गोधावत उक्त संस्था को सुचारू रूप से संचालित कर रहे हैं।
__श्री जैन गुरुकुल ब्यावर-यह संस्था ओसवाल जाति के कई विद्या प्रेमी सज्जनों द्वारा संवत् १९८५ में ग्यावर में स्थापित की गई है। इसके अन्तर्गत प्राचीन एवं अर्वाचीन पद्धतियों का सम्मिश्रण करके विद्यार्थियों (ब्रह्मचारियों) को धार्मिक, व्यवहारिक, मानसिक व शारीरिक शिक्षा बड़े ही उचित ढंग से दी जाती है। यह गुरुकुल, ब्यावर से करीब डेढ़ मील की दूरी पर बड़े ही अच्छे स्थान पर बना हुआ है। वह पहले बगढ़ी में जैन बोर्डिंग के नाम से प्रख्यात् था। इस संस्था का प्रबन्ध संठ मिश्रीलालजी वेद आदि ५ ट्रस्टियों द्वारा होता है। इसकी वार्षिक आय करीब तेरह हजार की है और व्यय दस हजार केल्या होता है। यहाँ से “कुसुम" नामक मासिक समाचार पत्र भी निकलता है। इसके ऑनरेरी प्रबन्धक श्री धीरजमलजी तुरकिया योग्य व्यवस्थापक सजन है। इस संस्था को सजम मिलकर १० हजार रुपये प्रतिवर्ष स्थायी सहायता देते हैं।
श्री अमर जैन होस्टल लाहौर-इस संस्था का स्थापन श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन सभा पंजाब ने सन् १९१६ में किया। पंजाब के कॉलेज शिक्षा प्राप्त करनेवाले जैन छात्रों के लिए शुद्ध भोजन एवं निवास का प्रबन्ध करने के उद्देश्य से यह संस्था खोली गई। संस्था की भव्य विल्डिगें लगभग २ लाख रुपयों की है। पंजाब के गण्यमान्य शिक्षित सज्जनों की एक कमेटी के जिम्मे इस संस्था की व्यवस्था का भार है।
श्री खानदेश ओसवाल शिक्षण संस्था, भुसावल ( एज्युकेशन सोसायटी)--इस संस्था का उद्देश्य पोसवाल जाति के उच्च शिक्षा प्राक्ष करनेवाले युवकों को आर्थिक सहायता देना है। इस संस्था का स्थापन सानदेश के नामी श्रीमंत खेठ राजमलजी खलवाणी २० हजार रुपये देकर किया था, एवं आप ही उसके सभापति हैं। इस सोसायटी के सेक्रेटरी श्रीयुत पूनमचन्दजी नाहटा का संस्था की अभ्युदय में बहुत बड़ा सहयोग रहा है। संस्था के पास लाभग ५२ हजार का फंड है, तथा अभी तक २० हजार रुपया विद्यार्थियों को यह संस्था वितरित कर चुकी है।
श्री सेठिया परमार्थिक संस्थाएँ बीकानेर-इन संस्थानों को स्थापन बीकानेर के प्रसिद्ध धार्मिक सेठ मेरोंदानजी ने किया, एवं आपके परिवार के सजजों ने कलकत्ते के मकानात, दुकानें एवं कई हज़ार रुपया संस्था के स्थाई प्रबन्ध के लिये दिया, जिनके किराये तथा व्याज की भाय लगभग २१ हज़ार सालियाना संस्था को होती है। इतना ही नहीं स्वयं सेठ मेरोंदानजी एवं उनके सुपुत्र कुंवर जेठमलजी सेठिया इन संस्थाओं का संचालन करते हैं। इस संस्था के भाधीन जैनस्कूल, श्राविक पाठशाला, जैन संस्कृत प्राकृत विद्यालय, जैन बोर्डिङ्ग हाउस, शाल भण्डार, जैन विद्यालय, भाविकाश्रम एवं प्रिंटिंग-प्रेस भादि संस्थाएं
शालित की जा रही है।