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श्रोसवाल जाति का इतिहास
१०१-खालसे - (काम मेहता विजयमलजी देखते थे) १९२५ जेठ वदी २ से १९१६ आसोन सुदी १०तक १०१-खालसे (काम मेहता हरजीवनदासजी गुजराती मेहता विजयसिंहजी,सिंघवी समरथराजजी, मेहता हरजीवनदासजी एवं दो अन्य जातीय सज्जनों के साथ राज्य व्यवस्था होती थी)
संवत् १९२९ की कार्तिक सुदी १४ तक १०३-०.ब० मेहता विजयसिंहजी-सं० १९२९ काती सुदी १४ से १९॥ की फागुन सुदी ९ तक १०४-मेहता हरजीवनदासजी गुजरातवाले–१९३१ की चेत सुदी १५ से १९१२ कातिक सुदी ५ तक १०५-रावराजा बहादुर लोढ़ा सिरदारमलजी-संवत् १९३३ की भादवा सुदी से माष सुदी १५ तक १०६-रा.ब. मेहता विजयसिंहजी~सं० १९३३ की माघ सुदी १५ से १९४९ भादवा सदी तक १०७-मेहता सरदारसिंहजी ( विजयसिंहजी के पुत्र) संवत् १९४९ की भादवा सुदी १५ से अपने मृत्यु
समय सं० १९५८ की आषाद सुदी ३ तक इस प्रकार "दीवान" के सम्माननीय पद पर सम्वत् १५१५ से सम्वत् १९५८ तक (१५० सालों में) करीब ८० ओसवाल मुत्सदियों ने लगभग ३०० वर्षों तक १०७ बार कार्य किया। इसी प्रकार राज्य के सभी बड़े २ मोहदों पर अत्यधिक संख्या में ओसवाल पुरुष कार्य करते रहे। विक्रमी संवत् की सत्रहवीं, अठारहवीं एवं उन्नीसवीं शताब्दि में जोधपुर के राजनैतिक क्षेत्र में ओसवाल जाति का बड़ा प्राधान्य रहा ।
जोधपुर राज्य के प्रोसवाल फौजबख्शी (Commander-in-Chiefs) -मुहणोत सूरतरामजी-संवत् १८०८ सावण वदी ३ से संवत् १८१३ सावण वदी १३ तक २-भंडारी दौलतरामजी (थानसिंहजी के पुत्र) संवत् १८१३ की सावण वदी १३ से १९ तक ३- सिंघवी भीवराजजी (लखमीचन्दजी के पुत्र) १८२४ की फागुन वदी से १८३० तक ४-सिंघवी हिन्दूमलजी (चन्द्रभाणजी के पुत्र) सं० १८३० की चैत बदी१२ से।८३२ भादवा सुदी तक ५-सिंघवी भीवराजजी-(लखमीचंदजी के पुत्र)१८३२ की भादवा सुदी १५ से १८४७ जेठ सुदी तक १-सिंघवी अखेराजजी (भीवराजजी के पुत्र) सं० १८४७की जेठ बदी से १८५१ सावण सुदी तक .-भंडारी शिवचन्दजी-संवत् १८५१ की सावण सुदी १ से १८५५ की सावण वदी १४ तक
-भंडारी भवानीरामजी (दौलतरामजी के पुत्र) १८५५ सावण बदी १४ से १८५६ चेत बदी तक ९-सिंघवी अखेराजजी (भीवराजोत) सं०१८५६ की चेत बदी ६ से १८५७ की प्रथम जेठ सुदी १२ तक २०-सिंघवी मेघरानजी-(अखेराजजी के पुत्र) १८५७ प्रथम जेठ सुदी १२ से १८७२ काती बदी तक ११-भंडारी चतुर्भुजजी-सुखरामजी के पुत्र) १८७१ काती बदी १४ से १८७४ दूजा सावण सुदी तक
आज कल की तरह उपरोक्त जमाना शान्ति का नहीं था। "फौजवक्शी" को हमेशा अपनी सेनाएँ यत्र तत्र युद्ध के लिये ले जाना पड़ती थी। इसी तरह रियासत के सेना विभाग में एवं प्रबन्ध विभाग में भोसवाल मुत्सुदी बड़े बड़े ओहदों पर प्रचुर प्रमाण में काम करते रहे। जिनकी नामावली स्थानाभाव के कारण हम यहाँ देने में असमर्थ हैं।
+सिंघवी भीवराजजी तथा उनके पुत्रों, पौत्रों एवं प्रपौत्रों ने लगभग १२५ सालों तक फोज बख्शी का काम किया।
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