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. . जैन कॉन्फरन्स हरेल्ड.
[ फेबरवरी सामाजिक उन्नतिकी सफलता आर रद्दिकी रीतीयां.
. ( महता अमृतसिंह-नाथद्वारा - मेवाड.) - श्रीजैन श्व॑ताम्बर कान्फरन्स हरैल्ड मेरेपास जबसे यह प्रचलित हुवा है-बराबर आता है और जो जो लेख इसमें सामाजिक उन्नति यानि जैन धर्मकी उन्नतिके बारेमें उपदेशयुक्त दरशाये जाते हैं और जो जो रीतियें इस धर्मके फेलावके बारेमें विद्वान.व धार्मिक पुरुषोंकी सम्मतिसे जाहिर की जाती है इन सब बातोंको सोचकर में यह आशा करता हूं कि यह जैन धर्म जो एक प्राचीन धर्म है और जिसमें किसी प्रकारकी आशंका नहीं है बहोत शीघ्र उन्नति प्राप्त करेगा और अपने भाई इस धर्मको अपना मुख्य अंग समझकर इसपर पूरे तौर अमल करें और फिर किसी प्रकारका विघ्न उत्पन्न नहीं होगा. .. सामाजिक उन्नतिकी सफलता और बृद्धिकी रीतियां. . सामाजिक धर्मकी वृद्धिके लिये अति धार्मिक, विद्वान और बुद्धिमान पुरुषोंकी आवश्यकता है-उन बुद्धिमान पुरुषोंको उचित है कि सोच विचारके साथ निष्पक्ष और स्वार्थरहित होकर अहर्निश जाति उन्नतिकी साधारण रीतियां सोचते रहें. यह नहीं की थोडेसे अनभिज्ञ युवा अवस्थावाले लौकिक लालसाओंसे भरे हुवे किसी समयमें एकत्र होकर व्याख्यान दे लें वा नेत्र मंदकर तोतेकी भांति याद की हुई प्रार्थना करलें ओर समझलें की यहही सामाजिक उन्नति है.
सामाजिक उन्नतिके लिये जितने साधन सहित विद्वान, सच्चे उत्साही और पूर्ण पराक्रमी अधिक एकत्र होते हैं उतनीही अधिक सफलता होती जाती है. सामाजिक उन्नतिकी सफलताके हेतु यहभी आवश्यक समझना चाहिये कि एक पब्लिक ओपिनियन अर्थात् सार्वजनिक लोकमत स्थापित कीया जावे-पब्लिक ओपिनियन जितनी बलबान ' की जावेगी और उसका जितना आदर किया जावेगा उतनीही भले प्रकारसे सामाजिक उन्नति होसकेगी और इसके द्वारा असंख्य लाभ प्राप्त होंगे.
__ पब्लिक ओपिनियनको दृढ करनेको साधारण रीति यह है कि जब कोई मनुष्य, वह, चाहे कैसेही छोटे पदका क्यों नहो, कोई उत्तम काम करे तो उसका पूरा मन्मान कीया जावे, इससे ओरोंकोभी वैसेही कार्य करनेकी वाञ्छा होगी और. जब कोई मनुष्य वह चाहे कैसाही बडा क्यों नहो, कोई अनुचित काम करे तो तुरंत उसके लीये कोई ऐसा प्रबंध सोचा जावे कि जो उसके धन, अधिकार, पहुंच, रायादिके प्रभाव परभी उसको लज्जित करनेवाला हो. परन्तु वह 'प्रबंध ऐसाभी नहो जिससे वह पुरुष सदैवके लीये निर्लज हो जावे. इस प्रकार प्रारंभ ही पकड़ होनेसे प्रत्येक प्रतिष्ठित मनुष्यकोभी भय रहेगा