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१४ - जैनकान्फरन्स हरेल्ड.. [जुलई रोज पांच मंदिर समुद्रशा शेठने प्रतिष्ठीत करवाये. कुल ईतिहास और हाल जैनपत्रमें मैने दिया है. धर्मशाला बनवानेको झवेरी नगीनचंद कपूरचंदने मंजुरी दी है. भोयरें हैं. मी. ललुभाईसें कई बातोंकी सलाह की. गाममें सब चीज मिलती है. वासण गोदडेका बंदोबस्त है. कोटकी अंदर एक पूरानी वावडी निकल आई है, हरएक यात्रीको उतरंकर यात्रा करके मनुष्यदेह सफल करना चाहिये. गाडी दिनको जाती है. इस मंदि. रके चारों और कई गामोंमें सिखरबंध मंदिर आये हैं, जिनमेंसे कई तूट गये हैं, और दुसरोका जीर्णोद्धार मुंबईकी तरफसे होरहा है. - • चितोडगढ–बडा पूराना किला है. देखनेसें तबीयत खुश होती हैं, आठ मैल लंबा और तीन मैल चोडा हे. उपर तलाव वगैरह ८४ है. बहोत जैनमंदिर होंगे एसा
अनुमान होताहै. हाल तीन नजर आते हैं, दोमें प्रतिमा है, एक जैन कीर्तिस्तंभ है, वड मंदिर नकशीदार है, जिसमें से श्री सीतलनाथजीकी, प्रतिमाजी उदयपुर ले गये बताते हैं, मंदिर जीर्णोद्धार कराने लायक है. चारों तरफ देहरी है, यहांके हाकमसाहब महेताजी गोविंदसिंहजी बडे योग्य पुरुष और दृढ जैन है. इन्होंने चितोडके ८० गामके जैन मंदिरोंकी फहरीस्त बनाना शरु की है, जीर्णोद्धारका बहुत हाल खुल जायगा, जैन डीरेक्टरीके लिये फार्म भरवाना भी आपने शरु करवाया, यात्री जरूर किल्ला देखे, गाममें भी तीन मंदिर है.
किशनगढ-यहां हमारा जानां अजमेरके धर्मानुरागी जैनबंधु धनराजजीसाहब कांसटिआरी सोबतमें वैशाख वद १४ को हुवा. दो पूजा भणाई गई. शेठ अमरचंदजी पारेखके प्रमुखपणमें दो व्याख्यान मनुष्यकर्तव्य और कान्फरन्सके विषयमें हानीकारक रीतरीवाजपर दिये, दुढीये वगैरह बहोत आयेथे, कई आदमीओंने होलीपूजन, गालीगाना, वगैरह बंध किया, और कान्फरन्समें आनेका बचन दिया. गाममें ३ मंदिर है, बडा मेंदिरमें वालकी प्रतिमा स्वप्न देकर प्रगट हुईथी सो विराजमान है, यहां रात्री भोजन ब्याह. शादीपर होताहै, साधुके अभावसे ढुंढकमत बहुत फेल गया है, छाजुभाईओं बड़े धर्मिष्ट है. श्रीसंघने और राज्यकी पेढीके जैन मुनिमने कुलगामोंकी जैन सेन्सस बनाना कबूल किया. एक पाठशाला थोडी मुदतसें कायम हुई है. नई मेनेजींग कमीटी मुकरर की, जिनके सेक्रेटरी एक मेट्रीक पास जैनको वनवाये.
____ जयपूर-गाममें ओसवाल और श्रीमालीओंमें कुसंप है, और मुकदमाकोरट चढरहा है. मंदिर यहांके दर्शन करने योग्य, एक पाठशाला है, जिसका नया प्रबंध हुवा है. राज्यसेभी मदद मिलती है, मी. गुलाबचंदजी ढढा मालपूरे थे. बडे भाई श्रीयुत लखमी