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१९०६] मि० अमरचंद पी० परमारका रजपुतानाका प्रवास. जैन कोन्फरन्सके ओनररी उपदेशक और प्रसिद्ध वक्ता मि. अमरचंद पी. परमारका कोन्फरन्सकी सेवार्थे रजपुतानाका स्तुत्य प्रवास.
(गत अंकसे चालु.) उदयपूर-बहोत ओसवाल यहां वैष्णव ढुंढीए और तेरापंथी धर्म पालते हैं. ओसवालोंके कुलगुरु महात्माके यहां बहोत घर है. ३४ जैन मंदिर है. एक मंदिर अनागत चोवीसीके प्रथम तीर्थंकर श्री पद्मनाभस्वामिका है. यहां श्री झवेरसागरजी अच्छे साधु होगये. धर्मशालाकी पूरी जरूरत है. रु. २५०००, खरचकी जरूरत है. प्रोवीन्शीयल सेक्रेटरी शा० मगनलालजी पूंजावत पूरा श्रम करते हैं. शेठ नथमलजी पोरवाड, श्रीपालजी चतुर, गुलाबचंदजी वेलावत, जमनालालजी कोठारी, जुहारमलजी पटवा आदि धर्मके आगेवान योग्य पुरुष है. मि. मुरालालजी एम. ए. और दो गृहस्थ ग्रेज्युएट है. जैनपाठशाला ठीक है, अच्छे पढे एक दिगंबरी मुनि कीर्तिहंसजी करके हैं, जिनोंने बनारसके शिवकुमारशास्त्रीके साथ विवाद कियाथा, देवस्थानका महकमाके प्रमुख महेताजी श्री तखतसिंहजीसाहबसे मिला, बहुत योग्य पुरुष है. श्री केसरीआजीमें सुधारा करने, अलग २ खाते रखने बाबत और वहीवट करनेवाले १२ मेंबरानमें २ मेंबर मुंबई अहमदावादके बडानेके लिये कहा गया तो यह बातें कान्फरन्सकी तरफसें रीपोर्ट आनेसे कमिटी आगे रजु करके बंदोबस्त करनेका फुरमाया. दिवाणसाहब ओसवाल हे श्री महाराणासाहबकी दृष्टी धर्मपर त्वजे हैं. मेवाडके तमाम जैनमंदिरोंमें राज्यकी तरफसे केसर, चंदन, और घी महा• वार दिया जाता है. आणुकी पूराने मंदिरोंका जीर्णोद्धारका काम मुंबईकी तरफसें चलरहा
ह. और भी कितनेक मंदिरोंका काम बहारगाम चालता है. देलवाडके-मेवाडके चार मंदिरका जीर्णोद्धार होगया जहां प्रतिष्टा ओच्छव वैशाख सुदि २ को बोतावाले श्री हेमसागरजीने करवाया. मेनेजर मी. ललुभाई जेचंद वहां अपनी धर्मपत्नीके साथ मोजुद थे. ये महाशय पूरा परिश्रम ऊठाते हैं. धन्य है. मारवाड तरफ दोरा करनेका इरादा है.
श्रीकरेडा पार्श्वनाथजी-उदयपूरसे करीव २७ माईल है. रु. ४००, रेलवेके देकर खास स्टेशन खुलाया है. स्टेशनसे २०० कदम है. मंदिर बडा भव्य हैं. एसा खुवसुरत है कि, जिसका जोडा मिलना मुश्कल है. बावन जिनालय कई देवडी है. तीन मजला है. जीर्णोद्धारका काम चालु है. यहां शा. ललुभाई हमको मिले. . रु. ३००० लग चुके हैं. तीर्थ दर्शन करने योग्य है. सं. ६३४ का प्रतिष्ठीत है. एकही