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१९०६] मि० अमरचंद पी० परमारका रजपुतानाका प्रवास. १९६ चंदजीसाहवने बडी खातर की. हरजात्रीकी खातर करते हैं. माजीकी तबीयत अलील होनेसें मालपूरे हैं. अब ठीक है नाईतफाकीसे सभा नही होसकी. संवेगी साधु श्रीमन् शिवजी रामजी वृद्ध और, बडे विद्वान है. फिर अजमेर होकर सर्व भाईओंसे सीख करो सिरोही पहुंचे वहांसे तीन कोसपर पाडीव गाममें पोरवाडभाईओंकी तरफसे बना हुवा नवीन मंदिरमें प्रतिष्टा मारवाडी ज्येष्ठ वदी ११ की थी. आठ हजार आदमी जमा हुवे थे. ओसवालोंके ६० घर है. और पोरवालोंके ८० हे. गामके ओसवाल जिमण वगैरहमें वही आयेथे. मंडप अति सुंदर बनाया था. श्री सिद्धाचलजी, मेरु, सम्मेत शिखरजी, पावापुरी गिरनारजी, अष्टापदजी, आबुजी वगैरहकी सुंदर रचना बनाई थी. प्रतिमाजी सर्वे नवीन थी. श्री चिंतामणजी पार्श्वनाथजी, श्री पद्मप्रभुजी और कंथुनाथजी आदि प्रतिमाजी स्थापन किये. प्रतिष्टा कमलगच्छके श्री पूजजी श्री महेन्द्रसूरिने करवाई. उन्होंने बहोत जगह प्रतिष्टा करवाई. प्रतिष्टामें पांचसोंसे सातसों रुपये लेते हैं, वरघोडे पांच नीकाले गये, जिसमें सिरोहीका हाथी मोजूद था. हाथीपर घी बोलकर सात, आठ, आदमी भगवानको लेकर पण मुसलमान मावतको अडकर बेठते थे. श्री पूजजीकी पालखी, बगी, ऊंट, सीगराम वगैरह ठाठसे वरघोडा निकलताथा. हरेक वरघोडेमें रु. १५०० की आमदनी होती थी. . कुल आमदनी रु. बीस बावीस हजार हुई खर्च जिमणसिवाय अंदाज ५००० हुवा होगा. चार जिमण सिरा और लापसीका पंच और अन्य गृहस्थोंने किया. जिमणमें स्पर्शादि भारी अनाचार होताहै. मुसलमान भी गुस जाते हैं. इसका बंदोबस्त कोन्फरन्सको करना चाहिये. अपने व्याख्यान दरम्यान मेने दो हजार रुपये श्री पंचको देना इस शर्तसे चाहा कि में टिकीट नीकालकर अन्य जातिवाले लोंकोंको अलग बेठकर जिमानेका बंदोबस्त करसकताहुं, अगर कुछ पुकार होवे तो मेरे दो हजार रुपये जपत किये जावे. सि. रोहीके नौ जवान जयपूरमें इंग्रेजी पढते हुवे अंदाज २५ वोलंटीयर बडे होसीले मुजको मदद देनेको तैयार हुवे थे. मुंबईके शेठ भीमाजी मोतीजीके पेढीवाले देलदरके शेठ भभुतमलजी और मी. लळुभाई वेलजीके परिश्रमसें सभा अच्छी हुई. हानीकारक रीवाज जो सिरोही इलाकेमें चलते हैं, जिसके बारेमें जोर देकर कहागया, बहुत गामवालोंने मंज़र किया कि पंच एकत्र होकर बंध करेंगे. परंतु दुसरे दो रोजमें ठहरा तो पण प्रतिष्ठाके काम आगे सभा पंचोने नही की. लोग बहुत दिलगीर हुवे. साठ गामके लोग मोजूद थे, कालंद्री गामके ३० 'आदमीका एक डेप्युटेशन मुजको बुलानेको आया. ___ कालदी-जेष्ठ वदि १२ को कालद्री गया. दोसो घर ओसवालके और १०० घर पोरवाडके है. लोक भाविक है. श्री महावीरस्वामिका पूराना प्रसाद है. जिसको बावन जिनालय किया जाता है. देरडी कितनी बडी चाहिये वगैरह बाबत वास्तुशास्त्र जाणकारको पुछनेकी सलाह दी. बाजारके चोगानमें रातको सभा, टेबल, जाजम, फानुस