Book Title: Jain Shwetambar Conference Herald 1906 Book 02
Author(s): Gulabchand Dhadda
Publisher: Jain Shwetambar Conference

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Page 434
________________ अमारा गया रीपोर्टमां अमे वधु ऊपदेशकोनी जरुर दर्शावी हती, अने उपदेशको. " ते प्रमाणे वधु उपदेशको मेळववाने जाहेर खबरो, खानगी तपास वीरेनो उपयोग करवा छता, योग्य उपदेशको मळी शक्या नहोता; प्रथमना उपदेशक मी० टोकरसी नेणसी पण तेमना पीताश्रीनी मांदगी तथा एवा संसारीक कारणोने लीधे आखा वर्ष दरमीयान मात्र त्रण चार मास प्रवास करी शक्या हता. योग्य उपदेशको मेळववानो प्रयास चालु छे अने ते मळ्यथी वधु नीमणुको करी विशेष कार्य करवाने जनरल सेक्रेटरीओ काळजी राखशे. आ संबंधमां जणाववाने खुशी उतपन्न थायछे के चालु वर्ष दरमीयान हींसार (पंजाब) ओरफनेजवाळा उपदेशक पंडीत चीरंजीलाले फकत मुसाफरी खर्च लइने कोन्फरसना ओनररी उपदेशक तरीके काम करवाने कबुल कर्यु छे अने ते मुजब रजपुतानामां तेओओ बे वखत जइने कोन्फरंसथी थता फायदाओ वीषे भाषण कर्या हता. वली पंडीत पनालाल के जेओ एक विद्वान अने जैन शास्त्रना सारा जाणकार छ तेमणे कोन्फरंसना अक उपदेशक तरीके काम करवान कबुल कयु छे अने थोडा वखतमां मालवामां तेओ पातानु कार्य शरु करशे. आ उपरांत फरुखनगरना ज्योतीश रत्न पंडीत जीयालाले पण कोन्फरसना ओनररी उपदेशक तरीके काम करवाने मागणी करी छे अने ते कबुल राखीने तेमने जलदीथी पोतार्ने कार्य शुरू करवाने सुचववामां आव्युं छे. आ संबंधमां अमे अमारा प्रथम वर्षना रीपोर्टमां जणाव्या मुजब जेम सुकृत भंडारनी योजना. ते वर्ष दरमीयान सुकृत भंडारनी योजनानो अमल थयो नहोतो. तेम रीपोटवाळा वर्षमां पण आ साथेना हीसाबमां पाछळ बतावेला अमुक थोडां स्थळो शीवाय आ योजनानो अमल थयो नहोतो. अमोए प्रथमना रीपोर्टमां जणाव्या मुजब कोन्फरन्से हाथ धरेला जुदा जुदा विषयोने अंगे योग्य रीते काम करवाने शक्तिवान थवा सारु जोईतां नाणांनी हमेशां सबड रहे तेवी कोई योजना उपर आववानी खास जरुर छे. अने ते संबंधमां काई खास गोठवण उपर आववाना विषयने पुख्त रीते चर्चवा पाटण ग्वाते मळनार चोथी श्री जैन श्वेताम्बर कोन्फरन्म ने अमारी खास विनती छे.

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