Book Title: Jain Shwetambar Conference Herald 1906 Book 02
Author(s): Gulabchand Dhadda
Publisher: Jain Shwetambar Conference
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गया रीपोर्टमां बताच्या उपरांत संवत १९६१ मां जुदा जुदा साल दरमीयान वसुल । थएलां वधु नाणा. खाताओमां नीचे प्रमाणे वधु रकमो वसुल थई हती. फंडनुं नाम.
वसुल आवेली रकम. श्री कोन्फरन्म निमात्र फंड श्री पुस्तकोदार पं.ड
6. ३४२६८ श्री मंदागदार फंड श्री निराश्रित फंड श्री जीवदया फंड
रु. ३४ ४२.--. .... श्री केळवणी फंड
प्रथम वर्ष प्रमाणे आ वर्षमां पण टपिनां नाणां मुंबइमा शेट मनमुग्नभाउ भगुगाईनी दुकानेज भग्वामा आवतां हता, अने तेथी ने माहेव तरफी आ वायतमां ने नदी लेवामां आवेली छे ते माटे नेमनो आ स्थले उपकार मानी छीए.
___ मुंबई अने वढोडरा ग्वाते भराअली टीपोमाथी हज मधी रु. १६००० बाकीरहेली उघराणी. आगरे कचगणी बाकी रही छे. अने ते गाटे बवतो ववत नाम
भरनार गृहस्थोने पत्रो लखवामां आव्या छतां तेओ तरफथी पोते भरेली बि.मो वसन्ट आपलानी कृपा थई नथी तो ते गृहस्थोने पोते भरेली रकमो जेम बने तेम जल्दीशी वसुल आपवानी विनंती करवामां आवे छे.
प्रथम रीपोर्टमां जणाव्या उपरांत नांचे जाव्या मुजब वधु प्रोवीन्शअल प्राधीन्शीयल सेक्रेटरीओ.
सेक्रेटरीओनी नीमणुको करवामां आवी हती :
मालवा--शेठ लखमीचंदजी धीआ. रंगुन-झवेरी मनसुखलाल दोलतचंद. सोलापुर----शेठ दलसुखभाई वाडीलाल वीरचंद बेंगलोर-शेठ नाथाभाई लवजी.

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